इस बार घिर गए लगते हैं जनरल वीके सिंह

रवि अरोड़ा

गाजियाबाद। पिछले चुनाव में अन्य सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त कराने वाले और नरेंद्र मोदी के बाद दूसरी सबसे बड़ी जीत हासिल करने वाले सेवानिवृत्त जनरल वीके सिंह इस बार घिरे हुए नजर आ रहे हैं। कांग्रेस ने तो भाजपा के वोट बैंक में सेंध लगाने की जुगत भिड़ा ही दी है, सपा-बसपा-गठबंधन ने भी भाजपा के पसीने छुड़वा रखे हैं। वहीं कोढ़ में खाज की स्थिति यह है कि भाजपा का स्थानीय कार्यकर्ता जनरल साहब से अब भी नाराज है और उनका अधिकांश समय रूठों को मनाने में ही खर्च हो रहा है।

इसकी वजह भी है। दरअसल पिछले पांच साल के दौरान वीके सिंह ने पार्टी कार्यकर्ताओं को जरा भी तवज्जो नहीं दी। अपने संसदीय क्षेत्र में उनकी सक्रियता भी लोगों की उम्मीदों के मुताबिक नहीं रही। हाल यह था कि पिछले तीन साल के दौरान उनकी गुमशुदगी के पोस्टर भी एक नहीं, कई बार लगे। वीके सिंह कार्यकर्ताओं को मना तो रहे हैं, मगर इसके संकेत कम ही हैं कि नाराजगी खत्म हो गई है।

पिछले पांच साल के दौरान उनके कामकाज पर जो सवाल उठ रहे हैं, उनके उत्तर देना भी वीके सिंह के लिए मुश्किल हो रहा है। प्रदूषण, यातायात जाम, अपराध, बेरोजगारी और अवैध कालोनियां यहां बड़ी समस्याएं बनी हुई हैं। लोनी क्षेत्र के किसान धर्मवीर नागर कहते हैं कि मंडोला के किसानों को आश्वासन देने के बावजूद जनरल साहब ने उनकी मांगों का निस्तारण नहीं करवाया। बेरोजगारी इन चुनावों में बड़े मुद्दे के तौर पर उभर रहा है। ऐसे में, इंडस्ट्रियल फेडरेशन के अध्यक्ष अरुण शर्मा की यह बात सोचने को मजबूर करती है कि क्षेत्र में उद्योगों पर एक के बाद एक ताला लगता जा रहा है, फिर बेरोजगारी की समस्या खत्म हो भी तो कैसे? उद्योग व्यापार मंडल से जुड़े रमेश शर्मा कहते हैं कि क्षेत्र में फिरौती की एक के बाद एक बड़ी घटनाएं हुईं, मगर शासन-प्रशासन उन पर पर्दा ही डालता रहा और सांसद के स्तर से भी कोई पहल नहीं हुई। मुरादनगर के महेंद्र त्यागी बताते हैं कि वीके सिंह हाल ही में उनके क्षेत्र में आए थे और अब लगातार आने-जाने का वादा कर गए हैं, मगर वह यहां दोबारा आएंगे, यह तो बस, उम्मीद ही की जा सकती है।

मतदाताओं को रिझाना वीके सिंह के लिए इसलिए भी चुनौती है कि इस दफा प्रतिद्वंद्वियों से उन्हें गंभीर खतरा है। कांग्रेस ने पिछली बार यहां दूसरा स्थान पाया था। इस बार पार्टी की ओर से डॉली शर्मा मैदान में हैं। वह दो साल पहले ही राजनीति में आई हैं लेकिन गाजियाबाद मेयर चुनाव में उन्होंने 1 लाख 19 हजार वोट हासिल कर सबको चैंका दिया था। डाॅली ने एमबीए किया हुआ है। इसलिए पढ़े-लिखे युवाओं के साथ-साथ महिलाओं और ब्राह्मणों के बीच वह ठीक से अपनी अपील दर्ज कराने में सफल हो रही हैं। मुसलमानों के बीच भी अच्छी वह खासी पकड़ बना रही हैं। कांग्रेस ने जिस न्यूनतम आय योजना (न्याय) की घोषणा की है, उसे वह ग्रामीणों के बीच ठीक से समझा भी रही हैं।

सपा-बसपा-रालोद गठबंधन ने बहुत सोच-समझकर सुरेश बंसल को यहां उम्मीदवार बनाया है। बंसल बसपा छोड़कर हाल में सपा में गए लेकिन उन्हें सपा ने अपनी तरफ से उम्मीदवार बनाया। माना जाता है कि बसपा सुप्रीमो मायावती के कहने पर ही वह सपा में गए। सपा इससे पहले पंडित सुरेंद्र कुमार मुन्नी के नाम की घोषणा कर चुकी थी। मुन्नी भी गाजियाबाद से तीन बार विधायक रह चुके हैं। मगर कांग्रेस ने जब डाॅली शर्मा की प्रत्याशी के तौर पर घोषणा की, तो वोटों के बंटवारे को रोकने के लिए सपा ने बंसल को मैदान में उतारा है ।

साल 2014 में किस प्रत्याशी को कितने वोट मिले

नाम (पार्टी)                                        प्राप्त मत

जनरल वीके सिंह (भाजपा)                 7,58,482

राजबब्बर (कांग्रेस)                            1,91,222

मुकुल उपाध्याय(बसपा)                     1,73,085

सुधन रावत(सपा)                              1,06,984

शाजिया इल्मी(आप)                          89,147

गाजियाबाद से अब तक चुने गए सांसद

वर्ष            सांसद                    पार्टी

2014      वीके सिंह                 भाजपा

2009     राजनाथ सिंह            भाजपा

2004     सुरेंद्र प्रकाश गोयल    कांग्रेस

1999     रमेश चंद तोमर         भाजपा

1998     रमेश चंद तोमर        भाजपा

1996     रमेश चंद तोमर        भाजपा

1991     रमेश चंद तोमर        भाजपा

1989     केसी त्यागी            जनता दल

1984    केदार नाथ सिंह        कांग्रेस

1980     अनवार                  जनता पार्टी(सेक्युलर)

1977     महमूद अली खान     बीएलडी

1971    बीपी मौर्य                 कांग्रेस

1967    प्रकाशवीर शास्त्री        निर्दलीय

1962     कमला चौधरी           कांग्रेस

1957     कृष्ण चंद्र शर्मा         कांग्रेस

गाजियाबाद लोकसभा चुनाव में कुल मतदाता

साल     2014 2019

कुल वोटर 2357546 2715871

पुरूष वोटर 1333051 1513963

महिला वोटर 1513963 1201705

गाजियाबाद में आती हैं पांच विधानसभाएं

हापुड़ लोकसभा में गाजियाबाद, मुरादनगर, मोदीनगर, हापुड़ और गढ़ मुक्तेश्वर विधानसभाएं शामिल थीं। साल 2008 में परिसीमन होने पर हापुड़ का कुछ हिस्सा मेरठ लोकसभा और कुछ भाग गाजियाबाद में आ गया। नई सीट गाजियाबाद लोकसभा में अभी भी पांच विधानसभाएं ही हैं। गाजियाबाद लोकसभा में अब गाजियाबाद, साहिबाबाद, मुरादनगर, धौलाना और लोनी विधान सभाएं हैं ।

2009: इस साल भाजपा के उम्मीदवार राजनाथ सिंह ने इस सीट से जीत दर्ज की थी। उन्होंने कांग्रेस के प्रत्याशी सुरेंद्र प्रकाश गोयल को हराया था। राजनाथ सिंह को 359637 वोट मिले थे, जबकि सुरेंद्र प्रकाश गोयल को 268956 वोट मिले।

2014 : इस बार भी लोकसभा सीट पर भाजपा का दबदबा बरकरार रहा। विजय कुमार सिंह ने कांग्रेस के प्रत्याशी राज बब्बर को करारी शिकस्त दी। जहां सिंह को 758482 वोट मिले थे, वहीं राज बब्बर को सिर्फ 191188 वोटों से संतुष्ट होना पड़ा।

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