पुरानी खुराक

बुज़ुर्ग अक्सर अपने ज़माने के घी, दूध और कनक के गुणगान करते हैं । वे आज के खान-पीन को फोका बताते हुए अपने पुराने दिनो को याद भी करते रहते हैं । वैसे कई बार उनकी बातें ठीक भी जान पड़ती हैं । मिसाल के तौर पर अब मेरे माता-पिता को ही देख लीजिये । दोनो 90 और 82 साल के हो गए मगर अब भी बिना चश्मे के पढ़ते हैं । पिता जी आज भी शाम तक नंगी आँखों से कई अख़बार घोट लेते हैं और माँ दिन भर सुखमनी साहेब के गुटके में ही नज़रें गड़ाई रखती हैं । ….पता नहीं इस उम्र तक हम पहुँचेंगे भी या नहीं और यदि पहुँचे तो किस हाल में होंगे । क्या करें हमने कौन सी पुरानी खुराकें खा रखी हैं ।

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