जोजो रैबिट

रवि अरोड़ा
हॉलीवुड की मशहूर फिल्म है जोजो रैबिट । दो साल पहले रिलीज हुई इस फिल्म ने पूरी दुनिया में धूम मचा दी थी और ऑस्कर समेत तमाम बड़े पुरस्कार बटोरे थे । अपने अंत से पूर्व नाजीवाद जर्मनी के बच्चों के दिलों में कितना जहर बो चुका था , यह फिल्म उसी को केंद्र में रख कर बनाई गई है । फिल्म दिखाती है कि काल्पनिक नायक और उनके हवा हवाई आदर्श कैसे बच्चों के दिमाग को विषैला बनाते हैं । कैसे वे अपने जैसे ही आसपास के उन लोगों को खत्म करने पर आमादा हो जाते हैं , जिन्होंने उनका कभी कुछ नहीं बिगाड़ा । इस फिल्म का आज जिक्र करने की वजह बड़ी मौजू है । दरअसल देशभर में कई जगहों पर हिन्दू संगठनों ने क्रिसमस के जश्न में बाधा पहुंचाई। गुरुग्राम के एक स्कूल में भीड़ ‘जय श्री राम’ के नारे लगाते हुए घुस गई और वहां चल रहे क्रिसमस कार्निवल को रोक दिया। उधर, कर्नाटक के एक स्कूल में भी दक्षिणपंथी समूह के कार्यकर्ताओं ने घुसकर क्रिसमस के जश्न में बाधा पहुंचाई। इसी तरह असम में भी बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने एक चर्च में घुसकर क्रिसमस के जश्न को रोक दिया। आप कह सकते हैं कि यह तमाशा अब कोई नई बात नहीं है । आप ठीक कहते हैं मगर मैं तो यह सोच रहा हूं कि बच्चों के सामने हुए इस जहर वमन का उनके कोमल मनों पर क्या प्रभाव पड़ेगा ? क्या हम अपने समाज में जोजो रैबिट ही तैयार करने पर आमादा हैं ? वो जोजो जो अपने तमाम विरोधियों का खत्म कर देना चाहता है, उन्हे गोली से उड़ा देना चाहता है ।

उत्तर प्रदेश समेत पांच प्रमुख राज्यों में चुनाव होने हैं सो राजनैतिक तमाशे तो होंगे ही । नेता लोग अपने हाथ से कोई भी मौका पहले भी कहां जाने देते थे । समाज कितना भी विषैला हो , सौहार्द कितना भी बिगड़े और लोग चाहे कितने भी मरें , उन्हें इसकी कब परवाह रही है ? मगर इस बार कुछ ज्यादा ही नहीं हो रहा ? मुस्लिमो की जुम्मे की नमाज के खिलाफ तो पहले भी खुराफातें होती थीं मगर स्कूलों में बच्चों की मौजूदगी में क्रिसमस पर बवाल तो शायद पहली बार ही हुआ है । कई जगह से तो सेंटा क्लॉज के पुतले फूंके जाने की भी खबरें हैं । अब से पहले कम से कम मैंने तो ऐसा कभी नहीं देखा था । जहां तक मेरी जानकारी है, देश के अधिकांश स्कूलों में सभी धर्मों के त्योहार धूमधाम से मनाए जाते हैं । ऐसे स्कूल भी अनगिनत हैं जहां प्रतिदिन सर्वधर्म प्रार्थना होती है । सरकारी स्तर पर भी सभी धर्मों के समान आदर का भाव कुछ साल पहले तक रहा है । सभी धर्मों के प्रमुख दिनों पर सार्वजनिक अवकाश भी रहता ही है मगर अब तो हवाएं कुछ ज्यादा ही जहरीली होती जा रही हैं । असुद्दीन ओवैसी कहता है कि जब योगी मोदी नहीं रहेंगे तब तुम्हे कौन बचाएगा । कपिल मिश्रा जैसे कहते हैं कि तुम्हे योगी के डंडे से कौन बचाएगा । हरिद्वार में कथित धर्म संसद में संतों के वेश में गुंडे सरेआम मुस्लिमों के कत्लेआम की बात कर रहे हैं । छोटे मोटे नेताओ का क्या रोना रोएं , बड़े बड़े नेता जहर उगल रहे हैं । खैर, हमारी तो बीत गई यह सब देखते देखते । इसके प्रभाव से जिन्हे जहरीला होना था वे हो भी गए और जिन्होंने खुद को बचा लिया , वे आजतक बचे हुए हैं । मुझे तो फिक्र उन बच्चों की हो रही है जिनके स्कूलों में जाकर अब सांप्रदायिक जहर उगला जा रहा है और दूसरे धर्मों का भी सम्मान करने के भाव को दूषित किया जा रहा है । मैं तो डर रहा हूं कि यह सब देख कर हमारे देश में भी अब न जाने कितने जोजो रैबिट तैयार होंगे ?

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