सफलता

उफ़
सफलता की सीढ़ियाँ कितनी घुमावदार हैं
किए देती हैं
मेरे भीतर के सभी दरवाज़े
एक एक करके बंद
कुछ लोग भी फ़ना हो रहे हैं
उन दरवाज़ों के पीछे
चाह कर भी मैं रोक नहीं पाता
उनका जाना
मुझे एतराज़ नहीं
बंद होते दरवाज़ों से
दुःख है
तो बस लोगों के फ़ना होने का
दरवाज़े नए भी खुल रहे हैं
एक के बाद एक
मगर उनसे नहीं झाँकते
अब मुस्कुराते चेहरे
मैं तलाशता हूँ
बंद हो चुके दरवाज़ों में
उन सब के अक्स
जिन्हें मैंने यूँ ही हो जाने दिया
गुम
उनका अपराध भी क्या था
यही ना
कि वे हो गए मुझसे अधिक सफल ?
उन लोगों को भी मैं
लगता हूँ बुरा
जिन्हें मैं छोड़े आया हूँ
कहीं पीछे
प्रतिद्वंद्वता से डरे लोग
तैयारी में हैं
मुझे छोड़ने की
उनके फ़ैसले को कहूँ कैसे
ग़ैरवाजिब
मैंने भी तो क़दम क़दम पर लिया
यही फ़ैसला
मेरे बीवी बच्चे नहीं समझते
इस समर को
वे हैं उतने ही निश्चल
जितना मैं चाहता हूँ ख़ुद होना
मगर
क्या करूँ
सफलता की सीढ़ियाँ
घुमावदार जो हैं
कहाँ रहने देती हैं किसी को
निश्चल

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