बूढ़े
जीवन में उत्साह ढूँढते हैं बूढ़े
उत्साह
जो कहीं छूट गया है
पिछले किसी स्टेशन पर
अब
समय भी तो नहीं कटता बूढ़ों का
तभी तो
पास से गुज़री हर ख़बर में ढूँढते हैं बूढ़े
उत्साह का कोई झोंका
ख़बरें जो दूर से ही गुज़र जाती हैं
और नहीं पहुँचतीं उनकी खिड़की तक
फलाँ की मौत हो गई
फ़लाँ का रिश्ता हो गया
फ़लाँ इतने दिन लगा आया अस्पताल में
फ़लाँ का बेटा पास हो गया
उन्हें कोई नहीं बताता
बहू हर सवाल का जवाब
केवल हाँ या न में देती है
बेटा जवाब ही नहीं देता
पोते पोतियाँ तो साथ रह कर भी
नहीं रहते साथ
रोज़ देखते हैं उन्हें आते जाते
पर आख़री बार कब सुनी थी
उनकी आवाज़
याद नहीं
अपने जीवन में उत्साह ढूँढते हैं बूढ़े
उत्साह
जिसका बस एक ही तो ज़रिया बचा है
वो हैं ख़बरें
तभी तो
ख़ुद तक पहुँची
छोटी से छोटी ख़बर
में पूरा रस ढूँढ लेते हैं बूढ़े
निचोड़ते हैं उसे बार बार
ख़बर के ज़िंदा रहने तक
फ़लाँ की उठावनी कब है
फ़लाँ की शादी में लिफ़ाफ़ा कितने का देना है
अस्पताल में फ़लाँ को देखने कौन कौन जाएगा
बार बार पूछते रहते हैं बूढ़े
फ़लाने की बॉडी पर
एक चादर हमारे परिवार की ओर से भी होगी
दिन भर यही दोहराते रहते हैं बूढ़े
बहन-बेटी को त्यौहार पर कुछ कम न रह जाए
दिन भर तागीद करते रहते हैं बूढ़े
बूढ़े जानते हैं
बच्चे अपने हिसाब से ही करेंगे
सब कुछ
मगर
अपने तजुर्बे और परम्पराओं के ज्ञान से
अपना वजूद
वापिस पाना चाहते हैं बूढ़े
तभी तो
इंतज़ार करते रहते हैं ख़बरों का
दिन भर पूछते रहते हैं बच्चों से
फ़लाँ की तबियत कैसी है
फ़लाँ का काम कैसा चल रहा है
फ़लाँ की शादी कब है
मगर हाय री ख़बरें
उन तक
पहुँचती ही नहीं