ताश बनाम जिंदगी

सीख रहा हूं मैं भी अब
ताश खेलना
जिंदगी जैसा ही तो है यह खेल
अगले पल क्या होगा
कुछ पता नहीं
बेशक चलाकियां अक्सर काम आती हैं
मगर
दांव उल्टा भी पड़ जाता है
कभी कभी सयानपंती से
धीरे धीरे जान गया हूं मैं भी
सारा खेल पत्तों के हासिल का है
मगर फिर भी
हारता वही है
जिसके पास कमोवेश अच्छे पत्ते हों
खराब पत्ते वाला तो चाल ही नहीं चलता
रवि अरोड़ा

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