भाजपा के लोग ही विरोध कर रहे हैं जनरल वीके सिंह का
रवि अरोड़ा
विदेश राज्य मंत्री व पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह अपने लोक सभा क्षेत्र गाजियाबाद में बुरी तरह फँसते नज़र आ रहे हैं । पौने पाँच साल तक अपने क्षेत्र की उपेक्षा करने का ही परिणाम है कि उन्ही की पार्टी के नेता अब उनके ख़िलाफ़ पोस्टर युद्ध चलाये हुए हैं । शहर में अनेक स्थानों पर लगाए गए पोस्टरों में साफ़ लिखा है कि मोदी तुमसे बैर नहीं , जनरल तेरी ख़ैर नहीं । जनरल भगाओ जन सेवक लाओ , क्षेत्र बचाओ । एक अन्य पोस्टर मे लिखा है- जनरल ही ज़रूरी है तो गठबंधन मजबूरी है । पोस्टर में आगे लिखा है कि तानाशाह नहीं सबके सुख दुःख में शामिल होने वाला जनसेवक चाहिये । हालाँकि पोस्टर के जारीकर्ता के रूप में जागरूक नागरिक मंच का नाम लिखा है मगर इससे पूर्व इस संस्था का कभी किसी ने नाम भी नहीं सुना था । माना रहा है कि यह पोस्टर पार्टी के ही चार बार सांसद रहे रमेश चंद्र तोमर के समर्थकों ने ही शहर में लगाए हैं । स्वयं श्री तोमर भी इस बार खुल कर मैदान में हैं जनरल के स्थान पर स्वयं को पार्टी प्रत्याशी के रूप में देखने के अभिलाषी हैं । वीके सिंह के ख़िलाफ़ प्रदेश सरकार में कई बार मंत्री रहे बालेश्वर त्यागी भी खुल कर सामने आ गए हैं और फ़ेसबुक पर उनके ख़िलाफ़ मुहिम छेड़े हुए हैं ।
दशकों बाद ग़ाज़ियाबाद में एसा हो रहा है कि दिग्गज सांसद को हटा कर पार्टी के स्थानीय नेता स्वयं टिकिट माँग रहे हैं । विगत चुनावों में वीके सिंह के नाम की घोषणा के चलते किसी स्थानीय नेता ने टिकिट माँगने का साहस नहीं किया था । उनसे पूर्व 2009 में पार्टी के तत्कालीन अध्यक्ष राजनाथ सिंह के यहाँ से चुनाव लड़ने की घोषणा पर सभी स्थानीय नेता बिलों में चले गए थे । उनसे पूर्व डाक्टर रमेश चंद्र तोमर यहाँ पार्टी के एक छत्र नेता थे और उनके सामने कोई टिकिट माँगने का साहस नहीं करता था मगर इस बार एसे एसे लोग भी वीके सिंह के स्थान पर अपना टिकिट माँग रहे हैं , जिनका नाम भी कभी नहीं सुना गया । जनपद के तमाम शहरों और क़स्बों में अपने बड़े बड़े होर्डिंग्स लगवा कर किसी अशोक गुप्ता ने स्वयं को पार्टी प्रत्याशी घोषित कर दिया है तो क्षेत्र की सैंकड़ों दीवारें अनिल खेड़ा को पार्टी प्रत्याशी बताते हुए पोत दी गई हैं । कभी मुरादनगर से पार्टी के टिकिट पर विधानसभा का चुनाव लड़ चुके ब्रजपाल तेवतिया समाचार पत्रों में बड़े बड़े विज्ञापन छपवा कर स्वयं को टिकिट का प्रबल दावेदार घोषित कर रहे हैं । रमेश चंद्र तोमर और पृथ्वी सिंह जैसे भी टिकिट की चाह में जमकर लाबिंग कर रहे हैं । हालाँकि वीके सिंह पोस्टर लगाने वालों को ऐरे ग़ैरे नत्थू खैरे बता रहे हैं और दावा कर रहे हैं कि यहाँ से वे ही चुनाव लड़ेंगे मगर अपने ख़िलाफ़ हो रही बग़ावत से वे भी अब परेशान दिखने लगे हैं ।
पूर्व जनरल का विरोध हालाँकि बाहरी बनाम स्थानीय के मुद्दे पर हो रहा है मगर इसकी बुनियाद में वीके सिंह द्वारा अपने पूरे कार्यकाल में स्थानीय लोगों की उपेक्षा ही है । वे महीनों तक क्षेत्र में नहीं आए और अनेक बार घोषणा के बावजूद उन्होंने यहाँ अपना आवास नहीं बनाया । हालाँकि बाद में उन्होंने राजनगर में एक किराये का मकान तो लिया मगर उसे ‘ घर ‘ नहीं बनाया । प्रदेश के पूर्व मंत्री और कांग्रेस के प्रदेश मंत्री सतीश शर्मा कहते हैं कि वीके सिंह बतायें कि क्या वे एक रात के लिए भी ग़ाज़ियाबाद रुके ? उनका यह सवाल भी मौजू है कि वीके सिंह ने क्षेत्र के कितने गाँवों का अब तक दौरा किया ?
उधर वीके सिंह ने पाँच साल की अपनी उपलब्धियाँ गिनाने को मेरा ग़ाज़ियाबाद नाम की एक पुस्तक का प्रकाशन कराया है और आज कल वे सुबह शाम उसके वितरण में लगे हैं । उनके द्वारा एक विडियो भी सोशल मीडिया पर प्रसारित कराया जा रहा है । ख़ास बात यह है कि इस पुस्तक और विडियो में जिन कार्यों का श्रेय वे ले रहे हैं उनमें से अधिकांश पूर्व की सरकारों के हैं । शहर से गुज़र रहे राजमार्गों पर रोज़ घंटों जाम लगता है और लोगबाग़ त्राहि त्राहि कर रहे हैं मगर वीके सिंह पुस्तक और विडियो में शहर को जाम से मुक्ति दिलाने का दावा कर अपना उपहास ही उड़वा रहे हैं ।