देसी घी के संतरे

रवि अरोड़ा
बात बचपन की है । पांच साल की छोटी बहन माता पिता के साथ कहीं घूमने गई । लौटने पर उसने दूसरे भाई बहनों को बढ़ा चढ़ा कर अपनी इस आउटिंग के किस्से सुनाए । जैसे हम वहां वहां गए, हमने ये ये खाया वगैरह वगैरह । खाने की सूची गिनाते समय उसने हमें चिढ़ाने की गरज से यह तक कह दिया कि मैंने तो वहां देसी घी के संतरे भी खाए । अब इसी देसी घी के संतरे वाली बात से ही उसकी पोल खुल गई और उसकी सारी डींगों पर पानी फिर गया । मजाक उड़ा सो अलग । जेवर में बनने जा रहे इंटरनेशनल एयरपोर्ट के डिजाइन के नाम पर चीन के बीजिंग एयरपोर्ट की तस्वीरें लगा कर डींगें हांकने वाले भाजपा नेताओं के बयानों को देख कर कसम से मुझे अपने बचपन का वो देसी घी के संतरे वाला किस्सा बहुत याद आया ।

इंटरनेट पर जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट के असली डिजाइन की जो तस्वीरें नज़र आ रही हैं ,उससे कतई ऐसा नहीं लगता कि यह देश का पहला और दुनिया का चौथा बड़ा एयरपोर्ट होगा । ये डिजाइन इतने सादे हैं कि किसी बड़े बस अड्डे की सी फील देते हैं । अब ऐसे में बड़ी बड़ी बातें करने के लिए एयरपोर्ट की भव्य तस्वीर तो चाहिए सो भाई लोगों ने बीजिंग के दाशिंग एयरपोर्ट का डिजाइन ही चुरा लिया । यह एयरपोर्ट अभी दो साल पहले ही बना है और अभी इतना चर्चित भी नहीं है । शायद यहीं सोच कर गप्पियों ने इसे उड़ा लिया । मगर हाय रे चीनी मीडिया, उसने यह चोरी पकड़ ली और अब दुनिया भर में मोदी योगी और उनकी पूरी भक्त मंडली की हंसाई हो रही है । देश के विपक्षी नेता भी चुटकी ले रहे हैं कि चीन ने अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख में हमारी जमीन पर कब्जा किया तो हम उसके एयरपोर्ट को उड़ा लाए ।

जग हंसाई के और भी कई कारण उभर रहे हैं । मोदी जी द्वारा इस एयरपोर्ट के शिलान्यास के अगले ही दिन उनकी सरकार के नीति आयोग ने रिपोर्ट जारी कर बता दिया कि उत्तर प्रदेश का हर तीसरा आदमी गरीब है और बिहार व झारखंड के बाद इस मामले में प्रदेश तीसरे नंबर पर है । इतने गरीब प्रदेश में तीस हजार करोड़ रुपए के खर्च को उचित ठहराया भी अब एक बड़ा काम है । यही वजह है कि भगवा ब्रिगेड का कोई नेता कहता है इस एयरपोर्ट से दस हजार लोगों को रोजगार मिलेगा तो कोई कहता है कि एक लाख को मिलेगा । किसी किसी ने तो यह संख्या सात लाख तक पहुंचा दी है । यह रोजगार कैसे मिलेगा, यह किसी को नहीं पता । वैसे जानकर कहते हैं कि दिल्ली के इंटरनेशनल एयरपोर्ट से मात्र सत्तर किलोमीटर की दूरी पर किसी अन्य बड़े इंटरनेशनल एयरपोर्ट की आवश्यकता नहीं है । दिल्ली एयरपोर्ट के टर्मिनल तीन के शुरू हो जाने के बाद तो कतई नहीं । हालांकि कुछ लोग यह भी कहते हैं कि देर सवेर दिल्ली एयरपोर्ट का बोझ कम करने के लिए किसी अन्य एयरपोर्ट की भविष्य में आवश्यकता हो सकती है । मगर इनमें से किसी का भी यह मानना नहीं है इस नए एयरपोर्ट के बनने भर से हवाई यात्रियों की संख्या में इजाफा नहीं हो जायेगा । हवाई सफर करने वालों की संख्या में बढ़ोत्तरी के लिए लोगों की आमदनी बढ़ानी पड़ेगी और इसके लिए जमीनी स्तर पर काम करना पड़ेगा । बेशक यह एयरपोर्ट उत्तर प्रदेश वासियों के अहम को संतुष्ट करने का काम आ सकता है । दूसरी बड़ी बात यह कि आगामी चुनाव जीतने में भी यह एयरपोर्ट बड़ी भूमिका निभा सकता है । इसके नाम पर चुनाव में इतनी गाल बजाई होगी कि लोग बाग भूल जायेंगे कि यह एयरपोर्ट उनके लिए नहीं सरकार ने अपने लिए बनवाया है । शायद यही सब वजह हैं कि जेवर एयरपोर्ट के वो वो फायदे भी गिनाए जा रहे हैं जो उससे शायद ही हों। इन फायदों में से अनेक तो मेरी छोटी बहन के देशी घी के संतरे सरीखे हैं । चलिए आप भी खाइए देशी घी के संतरे ।

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