हवाएं किसी की नहीं
रवि अरोड़ा
यदि आपको पता हो तो कृपया मेरा भी मार्गदर्शन करें कि पटना में बागेश्वर धाम वाले धीरेंद्र शास्त्री के कार्यक्रम में अपना घर बार छोड़ कर जो लाखों लोग पहुंचे वे कौन थे ? हालांकि इतना तो मैं भी जानता हूं कि किसी भी समाज की कोई एक सतह नहीं होती और लोग बाग अलग अलग धरातल, जीवन मूल्यों और हालात में एक साथ जीवन यापन करते हैं। यकीनन किसी भी समाज में सब लोग एक जैसा भी नहीं सोचते और एक तरह से यह ठीक भी है मगर फिर भी यह समाज की कौन सी परत है जिसमें ये लाखों भक्त मार्का लोग रहते हैं ? माना हमारे समाज का बड़ा तबका अभी भी अशिक्षित हैं और सामाजिक, आर्थिक और कमोवेश दूषित राजनीतिक परिवेश के चलते उसकी तार्किकता व वैज्ञानिकता बोध रसातल में है मगर फिर भी क्या इन लोगों में सामान्य ज्ञान तक का अभाव है ? एक आदमी बड़ी चतुराई से अपनी अपनी समस्याओं से घिरे लोगों के भय को कैश करता है और फिर झूठी उम्मीद की किरण के पीछे पीछे लोग बाग द पाइड पाइपर ऑफ हैमेलिन की तरह खिंचे चले जाते हैं ?
यह सरासर बकवास ही लगता है कि ये भीड़ कोई कथा वथा सुनने धीरेन्द्र शास्त्री के कार्यक्रमों में जाती है। मैं दावे से कह सकता हूं मेरे आपके मोहल्ले के मंदिर का पुजारी उससे बेहतर कथा करता होगा । क्या ये भीड़ वही तो नही है जो अपनी परेशानियों से डर कर कभी राम रहीम की शरण में चली जाती है तो कभी आसाराम बापू की भक्त हो जाती है ? कभी रामपाल और निर्मल बाबाओं से अपनी समस्याओं का समाधान चाहती है तो कभी सत्य श्री साईं बाबा जैसों के पीछे हो लेती है ? ये लोग वही नहीं हैं क्या जो अपनी समस्याओं के तार्किक समाधान की बजाय शॉर्ट कट तलाशने उन शनि मंदिरों में हर शनिवार को लंबी कतार लगाए खड़े रहते हैं जो अब कुकुरमुत्ते की तरह हर शहर हर गली में उग आए हैं ?
धीरेंद्र शास्त्री का खेल क्या है यह तो हाल फिलहाल में दुनिया को पता नहीं चलने वाला । उसने जिस चालाकी से घर वापसी और हिन्दू राष्ट्र की बात कह कर सत्ता को अपने साथ कर लिया है , उससे तो साल 2024 तक उसकी गुड्डी अभी और ऊंचाईयों को छूनी है । भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और पार्टी के थिंक टैंक माने वाले कैलाश विजय वर्गीय ने बागेश्वर बाबा का खुला समर्थन कर इसके संकेत भी दे दिए हैं। भाजपा के सांसद मनोज तिवारी जिस तरह से एयर पोर्ट से होटल तक बाबा के सारथी बने, उससे भी चीजें साफ हो गई हैं। बाबा राम देव समेत अनेक दिग्गज भी बाबा के समर्थन में आकर संदेश दे रहे हैं कि बाबा का गुब्बारा अभी और फुलाया जायेगा । मतलब साफ है कि इन बाबाओं के जरिए ही तो भारत को विश्व गुरू बनाया जाना है।
दुनिया के समक्ष अभी तो यह रहस्य ही रहेगा कि बाबा अधिक चतुर है अथवा उसके चाहने वाले ज्यादा बेवकूफ हैं ? बड़ी चालाकी से बाबा अपने भक्तों को एक टास्क देता है और फिर कहता है कि सपने में बंदर दिखे तो समझ लेना कि आपकी अर्जी स्वीकार हो गई है और मैंने बुलाया है। अब जब कोई श्रद्धा से टास्क पूरा करेगा और फिर सारा सारा दिन अपने सपने में बंदर की ही कामना करेगा तो भला वह क्यों नहीं दिखेगा ? नतीजा अपनी समस्याओं से घबराए लोग एक पर एक चढ़ कर बाग बाबा के आश्रम पहुंच रहे हैं । वहां आश्रम और बाबा के कार्यक्रमों में ऐसा माहौल होता है कि बाबा बड़ा है और खुद भगवान उसके समक्ष कुछ भी नहीं । भक्त की नैया भगवान नहीं वरन यह बाबा ही पार लगा सकता है। अब भीड़ आयेगी तो दूसरी भीड़ को भी अपनी ओर खींचेगी ही सो पोंजी स्कीम सी बाबा की दुकान जोरदार तरीके से चल रही है। चलिए आप भी मेरी तरह वक्त का इंतज़ार कीजिए। भेद तो यह भी नहीं रहेगा । किसी ने ठीक ही तो कहा है कि चिराग ये भी बुझेंगे, हवाएं किसी की नहीं।