हमें कराची मत बनने देना

रवि अरोड़ा
बेटा आजकल दुबई में रहता है। जिस सोसाइटी में उसका घर है, उसी में एक अन्य पढ़ा लिखा और बेहद स्मार्ट युवक भी रहता है । नाम है सैय्यद साद। साद मूलतः कराची पाकिस्तान का रहने वाला है मगर पिछले कई सालों से दुबई में रहकर एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी में काम करता है। चूंकि परिवार के बाकी लोग कराची में ही हैं अतः उसका वहां आना जाना लगा ही रहता है। बेटे से मुलाकात हुई तो गाहे बगाहे बातचीत का सिलसिला भी शुरू हो गया। अभी कुछ दिन पहले अपनी बेटी के इलाज के सिलसिले में साद फिर कराची गया था। वापिस आने पर उसने बताया कि अब वह अपने परिवार को भी दुबई ला रहा है। कारण पूछने पर उसने बताया कि कराची अब रहने लायक नहीं रहा । अपनी ताज़ा कराची यात्रा की जो तस्वीर उसने बयां की, वह चौंकाने वाली थीं। बेटे से ये बातें जब मुझे पता चलीं तो मैं भी बहुत हैरान हुआ ।

हालांकि कराची के बाबत मेरी जानकारी बहुत कम है मगर इतना जरूर जानता हूं कि हमारी मुंबई की तरह यह शहर पाकिस्तान की आर्थिक राजधानी है । इस शहर के महत्व को इसी से समझा जा सकता है कि बंटवारे से पहले तक व्यापार के लिए हिन्दुस्तान में कराची पहले स्थान पर था और मुंबई दूसरे स्थान पर। वहां की बोलचाल और नफासत कुछ ऐसी ही मशहूर थी जैसे हमारे लखनऊ की सदियों से है। लोगबाग तहजीब सिखाने की गरज से अपने बच्चों को कराची पढ़ने भेजते थे। इस शहर में कामकाज के इतने अवसर मिलते थे कि जिसे कहीं कोई काम न मिले वह कराची चला आता था । यही कारण था कि कराची को गरीब की मां भी कहा जाता था। मगर अब कराची पूरी तरह बदल चुका है और अपराध, भ्रष्टाचार, गंदगी और ट्रैफिक जाम के लिए यह पाकिस्तान का सबसे बदनाम शहर बन गया है। जिस कराची को कभी रश्क की नज़र से देखा जाता था वही कब हिकारत का बायस हो गया है। कराची के बाबत वहां एक आम मुहावरा बन गया है कि यह शहर रहने नहीं वरन दर्द सहने की जगह है।

साद के अनुसार पिछले हफ़्ते ही एक भीड़भाड़ वाली चौड़ी सड़क पर दर्जन भर बदमाशों ने दो सौ मीटर तक का जाम लगाया और फिर हथियारों के बल पर सभी कार स्कूटर वालों को लूट लिया। उसी दिन मशहूर बाजार के एक रेस्टोरेंट में 15 बदमाश घुस आए और खाना खा रहे लोगों को दिन दहाड़े लूट लिया । शहर में बदमाशों का इतना खौफ है कि रात में घर से बाहर निकलने की कोई सोच भी नहीं सकता । अकेली महिला के लिए तो यह सोचना भी गुनाह जैसा है। शहर में हत्याएं आम हैं और पुलिस बिना रिश्वत के किसी की फरियाद नहीं सुनती। अन्य विभागों का भी यही हाल है। साद का सगा साढू जो खुद सरकारी अधिकारी था हाल ही में बलूचिस्तान में हेट क्राइम का शिकार हो गया और स्थानीय लोगों ने उसका अकारण ही गला रेत दिया । कराची जैसे सबसे बडे़ शहर का यह हाल है तो कल्पना की जा सकती है कि बाकी मुल्क की क्या सूरत होगी। बाढ़ ने यूं भी आजकल इस पड़ोसी मुल्क को तबाह किया हुआ है और अब बदहाल लोग न जाने और क्या क्या करेंगे ।

कराचीनामा सुन कर एक बार तो लगा कि अरे वाह, इसका मतलब हम तो जन्नत में रहते हैं। मगर फिर चिंता भी सताने लगी। सबको पता है कि पाकिस्तान धर्म के नाम पर बनाया गया एक अप्राकृतिक देश है। उसकी बदहाली का असल कारण वहां के लोगों की आंखों पर चढ़ा धर्म का वह पर्दा है जिसे राजनेताओं ने अपनी लूट खसोट का जरिया बनाया। भारत ने भी आजकल लोकतांत्रिक मर्यादाओं को त्याग कर जिस तरह से धर्म को तरजीह दी जा रही है, उससे कुछ इसी तरह का खतरा उत्पन्न हो रहा है। देश में महंगाई, बेरोजगारी और आम लोगों की माली हालत भी कुछ ऐसी ही चुगली करती है । हे ईश्वर हमारे लोगों को सद्बुद्धि देना। हमारे मुल्क को कराची मत बनने देना।

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