राष्ट्रीय पिकनिक ही बना दिया कुंभ को

राष्ट्रीय पिकनिक ही बना दिया कुंभ को
रवि अरोड़ा
मेरी ससुराल प्रयाग राज में है। पेशे से चार्टेड एकाउंटेंट साले साहब आजकल सपरिवार कुंभ स्थल पर धूनी जमाए बैठे हैं। विगत 29 तारीख को मौनी अमावस्या की रात कुंभ में जब हादसा हुआ , वे घटना स्थल से अधिक दूर नहीं थे । हादसे से दो घंटा पहले के वीडियो भी उन्होंने मुझे भेजे थे जिसमें नियत
समय पर डुबकी लगाने की गरज से लोग बाग नदी किनारे रेत पर लेटे हुए थे । मैं अनुमान लगा सकता हूं कि स्नान के लिए जब भारी भीड़ संगम पर उमड़ी होगी तो रेत में लेटे यही लोग भीड़ के पैरों के नीचे आकर कुचले गए होंगे। अधिकारियों की बेशर्मी देखिए कि हादसा कितना बड़ा है, यह किसी को पता ही नहीं चलने दिया गया और जहां थोड़ी देर पहले शव पड़े थे , वहीं आधे घंटे बाद लाखों की भीड़ गंगा स्नान के लिए पुनः उमड़ पड़ी। हालांकि यह चर्चा तो जरूर वहां थी कि शायद यहां कोई हादसा हुआ है मगर शासन प्रशासन की बेहयाई और हरसूरत गंगा में डुबकी लगाने की ललक के चलते भीड़ में यह जानने की कतई रुचि नहीं थी कि आखिर हुआ क्या है ? मेला स्थल पर कहां कहां भगदड़ मची है, यह बताने वाला तो खैर पूरे प्रयाग में कोई था ही नहीं। हादसे के अगले रोज से छन छन कर खबरें बाहर आने लगीं और उनमें भी कितनी खबरें सच्ची हैं और कितनी झूठी, यह स्पष्ट करने वाला भी देश शहर में अभी तक कोई नहीं है । शहर में अफवाहों का बाजार गर्म है और जो आंकड़े लोगों द्वारा एक दूसरे के बीच कहे सुने जा रहे हैं, उनमें और सरकारी आंकड़े में जमीन आसमान का फर्क है। प्रयाग राज के ही कुछ और लोगों से बात हुई तो लगभग सभी ने इस बात पर रोष प्रकट किया कि ऐसा कैसे हो गया कि जिन नेताओं और अधिकारियों को महीनों पहले पता था कि मेले में 40 करोड़ लोग आयेंगे , उन्हें यह पता लगाने में पूरा एक दिन लग गया कि हादसे में आखिर कितने लोगों की जान गई ? शहर में प्रतिदिन आने वाली रेल गाड़ियों, हवाई जहाजों, बसों और कारों का हिसाब किताब लगा कर लोग बाग हैरानी से पूछ रहे हैं कि एक ओर तो कुंभ में आने वालों की संख्या इतनी बढ़ा चढ़ा कर बताई जा रही है, वहीं मरने वालों की असली संख्या छुपाई जा रही है ?
राजनीतिक गुणा भाग की नजर से इस कुंभ मेले को देखने में मेरी कतई रुचि नहीं है मगर फिर भी इतना तो दावे से कह ही सकता हूं कि इस कुंभ मेले से प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी को कोई खास राजनीतिक लाभ नहीं होने वाला । हजारों करोड़ रुपया खर्च कर इस जोड़ी ने कुंभ का जैसा प्रचार किया, वही इनके लिए उलटा पड़ने जा रहा है। इस जोड़ी की नजरों में चढ़ने को केन्द्र और राज्यों के सभी मंत्री, संत्री, नेता, अधिकारी, पदाधिकारी, राजनयिक , बड़े उद्योगपति और तमाम कथित बड़े लोगों में कुंभ स्नान की होड़ सी लग गई और यह मेला पूरी तरह वीआईपी और वीवीआईपियों का अड्डा बन कर रह गया है । मीडिया, सोशल मीडिया और देश में कुकुरमुत्ते की उग आई यूट्यूबर्स की फौज ने तो जैसे इस मेले को न भूतो न भविष्यति जैसा ही बना डाला और फिर वही हुआ जो ऐसे में अक्सर हो जाता है । अनुशासन से दूर दूर तक भी वास्ता न रखने वाली भारतीय जनता जनार्दन दल बल के साथ जान हथेली पर रख कर कुंभ में चली आई । अब देखिए यही लोग रोते कलपते सोशल मीडिया पर अपने वीडियो डाल रहे हैं कि यहां मत आओ । यहां कोई इंतजाम नहीं है और पचास पचास किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ रहा है। जिनके अपने मेले में खो गए हैं, अथवा जिनका कोई अपना हादसे में मर गया है, उनके विलाप करते वीडियो अब घर घर पहुंच रहे हैं तो कैसे मान लें कि इनसे मोदी योगी की जुगल जोड़ी की जय जयकार हो रही होगी ? उधर, मेले को मुस्लिमों के खिलाफ एक हथियार की तौर पर इस्तेमाल करने की चाह रखने वाले भी इस खबर से निराश हो रहे हैं कि प्रयागराज के मुस्लिमों ने भीड़ के लिए मस्जिदों के द्वार खोल दिए और बढ़ चढ़ कर लोगों की मदद की।
समझ से परे है कि जब इंतजाम ही नहीं कर सकते थे तो कुंभ में आने का लोगों को न्यौता ऐसे कैसे दे रहे थे जैसे घर में बेटे की शादी हो ? क्यों नहीं समझ सके कि अब देश भर में सड़कों का जाल है, अधिकांश घरों में कार है, मुल्क में हजारों ट्रेन हैं और हवाई जहाज हैं। सबसे बड़ी बात है कि लोगों के पास पैसा और वक्त ही वक्त है। लोग अपनी पर आयेंगे तो किसी भी व्यवस्था को ध्वस्त कर देंगे । होना तो यह चाहिए था कि लोगों को न्यौता देने की बजाय उन्हें कुंभ में आने के लिए हतोत्साहित किया जाता और हर कुंभ की तरह जो लोग स्वतः ही आ जाते उनके लिए बेहतरीन से बेहतरीन इंतजाम होता । जोर कुंभ में स्नान करने वालों की संख्या बढ़ाने पर नहीं बल्कि उन्हें सुरक्षा और सुविधाएं देने पर होना चाहिए था मगर किया क्या ? वोट की राजनीति के चलते देश भर में ऐसा माहौल बना दिया गया कि हर बेरोजगार और निठल्ला कुंभ स्नान को दौड़ा जा रहा है। जो घर में भी नहीं नहाते वे भी गंगा नहाने जा रहे हैं। जिन्होंने अपने मोहल्ला का मंदिर भी कभी नहीं देखा, उन्हें भी प्रयाग राज जाकर धर्म लाभ लेना है। अजब देश बनाया जा रहा है। कुंभ जैसे पौराणिक, धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन को भी राष्ट्रीय पिकनिक ही बना कर छोड़ दिया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

RELATED POST

भक्तों का मार्ग दर्शक मंडल

भक्तों का मार्ग दर्शक मंडलभगवान अपने भक्तों की परीक्षा लेते हैं। हमारे मोदी जी भी लेते हैं। भगवान विपरीत परिस्थित…

भारत पाक युद्ध के नायक प्रतिनायक

रवि अरोड़ाशुक्र है कि युद्ध विराम हो गया । इतिहास गवाह है कि युद्ध किसी मसले का हल नहीं वरन्…

खलनायक की तलाश

खलनायक की तलाशरवि अरोड़ापहलगाम में हुए आतंकी हमले से मन बेहद व्यथित है। गुस्सा, क्षोभ और बदले की भावना रगों…

माचिस थामे हाथ

माचिस थामे हाथरवि अरोड़ामुर्शिदाबाद में हुई हिंसा और आगजनी से मन व्यथित है। तीन हत्याएं हुईं और कई सौ घर…