मोदी और ट्रंप की यह कैसी दोस्ती
मोदी और ट्रंप की यह कैसी दोस्ती
रवि अरोड़ा
मेरी एक बच्ची अमेरिका में उच्च शिक्षा के लिए गई हुई है मगर आजकल उसके दिल की धड़कनें बढ़ी हुई हैं। कारण है अमेरिकी के भावी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनकी घोषणाएं। आगामी बीस जनवरी को ट्रंप का शपथ ग्रहण समारोह है और उन्होंने घोषणा की हुई है कि वे चुने जाने के बाद एच बी वन वीजा स्कीम खत्म कर देंगे, जिसके तहत हर साल लाखों भारतीय अमेरिका में नौकरी पाते हैं। साल 1990 में शुरू हुए इस वीजा का सर्वाधिक लाभ हम भारतीयों को ही हुआ है 65 फीसदी भारतीय ही इस योजना के तरह अमेरिका में नौकरी प्राप्त कर सके हैं । मेरी यह बच्ची ही नहीं वरन् लाखों अन्य भारतीय परिवार भी अमेरिका के दक्षिण पंथी नेता ट्रंप को लेकर आजकल डरे हुए हैं जो पूरी तरह भारत विरोधी माने जाते हैं और अपने पिछले कार्यकाल में भी उन्होंने कई ऐसे फैसले लिए थे जिससे भारत को नुकसान हुआ था । इस बार भी ट्रंप भारत की टैक्स व्यवस्था को लेकर धमकी भरी भाषा बोल रहे हैं। पढ़ाई के बाद अमेरिका में नौकरी का सपना पाले बैठी मेरी यह बिटिया इस बात से भी काफी हैरान है कि जब ट्रंप की नीतियां भारत विरोधी हैं तो क्यों कर भारतीय मीडिया उसके प्रति कोमल रुख अपनाए हुए है ? क्यों भारत में इस बात पर चर्चा नहीं हो रही कि जो लाखों भारतीय छात्र एजुकेशन लोन लेकर अमेरिका में पढ़ने गए हुए हैं, उनके भविष्य क्या होगा ? इस बिटिया से फोन पर बात करते हुए भारतीय मीडिया पर उसके सवालों से मैं असहज हो उठा और चाह कर भी उसे कोई माकूल जवाब नहीं दे सका ।
अब आप ही बताइए कि अमेरिका में बैठी अपनी इस बच्ची को मैं कैसे बताया कि क्या यह इकलौता मुद्दा है, जिस पर भारतीय मीडिया का रुख घटिया और कायराना है ? उसे कैसे बताया कि भारतीय मीडिया तो इस बात पर भी खामोश है कि अपने शपथ ग्रहण समारोह में ट्रंप ने अभी तक भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को बुलाया क्यों नहीं है, जबकि दुनिया भर के तमाम छोटे बड़े नेताओं को न्यौता पहुंच चुका है ? ट्रंप उस मोदी कि इतनी उपेक्षा क्यों कर रहे हैं जो ट्रंप को अपना जिगरी यार बताते रहे हैं और उनके पिछले चुनाव के दौरान वे अमेरिका जाकर पचास हजार भारतीय के बीच ‘अबकी बार ट्रंप सरकार ‘ का नारा देकर आए थे ? यही नहीं कोरोना की विभीषिका के दौरान अहमदाबाद में एक लाख भारतीयों के बीच नमस्ते ट्रंप जैसा कार्यक्रम भी करवा चुके हैं ? बिटिया को कैसे बताता कि भारतीय मीडिया तो इस बात पर भी चुप है कि क्यों मोदी इस कार्यक्रम में जाने के लिए मरे जा रहे हैं और क्यों उन्होंने पहले अपने विदेश सचिव और फिर स्वयं विदेश मंत्री को इस बड़े कार्यक्रम के निमंत्रण का जुगाड़ करने अमेरिका भेजा ? कहीं इस आशय की खबर नहीं छप रही कि आखिर क्यों ट्रंप उस मोदी कि उपेक्षा कर रहे हैं जिनके बारे में यह दावा किया जाता है कि उनके एक फोन से रूस और यूक्रेन का युद्ध तक रुक जाता है ? किसी टीवी चैनल ने इस मुद्दे पर डिबेट नहीं की कि भारत को विश्व गुरु बनाने की बातें करने वाले मोदी को भाव न देने की हिमाकत ट्रंप आखिर कैसे कर सकते हैं ? किसी अखबार में संपादकीय नहीं छपा कि यह कैसी दोस्ती है कि अपने भाषणों में ट्रंप अब भारत को सबसे खराब देश बताने तक की हिम्मत दिखा रहे हैं ? क्यों भारतीय मीडिया इस बात पर चुप है कि दुनिया की सबसे बड़ी आबादी, पांचवीं सबसे बड़ी और सर्वाधिक तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था वाले देश के प्रधानमंत्री की बेइज्जती करने का साहस ट्रंप ने कैसे किया ?
यकीनन अमेरिका में जो होने जा है, उससे भारत की चिंताएं बढ़नी चाहिएं मगर पता नहीं क्यों यह कहीं दिख ही नहीं रहीं। सरकार तो खैर इस पर चुप है ही , मीडिया भी इस पर बात नहीं कर रहा । दक्षिणपंथी रिपब्लिकन नेता ट्रंप के प्रति मोदी की वफादारी के चलते डेमोक्रेट राष्ट्रपति बाइडन के कार्यकाल में भारत ने क्या खोया और क्या पाया, इसकी समीक्षा तो दूर भारतीय मीडिया विदेश मंत्रालय की प्रेस विज्ञप्ति से इतर सोचने का साहस तक नहीं दिखाता । मेरी यह बिटिया अक्सर फोन करती है और तमाम मुद्दों पर खुली चर्चा करती है। कृपया आप ही मुझे सलाह दें कि अगली बार जब उसका फोन आए और भारत अमेरिकी संबंधों पर भारतीय मीडिया की चर्चा करे तो मुझे क्या जवाब देना चाहिए ?