माफिया वही जो नेताओं को न भाए

रवि अरोड़ा
ख़बर है कि बिहार के सबसे बड़े बाहुबली डॉन और पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह को जेल से रिहा कर दिया गया है। यह डॉन गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी. कृष्णैया की मॉब लिंचिंग कराने के मामले में जेल में बंद था मगर अब चुनावी बेला में उसकी जाति के वोट बटोरने को बिहार की नितीश सरकार ने उसे रिहा कर दिया । जिस तरह से भाजपा ने कुछ माह पहले हिन्दू वोटो की खातिर बिलकीस बानो मामले में हत्यारों को छोड़ा ठीक उसी तरह नितीश ने राजपूत वोटों के लालच में आनंद मोहन ही नहीं 26 अन्य दुर्दांत अपराधियों को भी समय पूर्व रिहा कर दिया । हालांकि बेरहमी से मौत के घाट उतार दिए गए उस जिलाधिकारी की पत्नी ने पटना हाई कोर्ट का द्वार खटखटाया है और आईएएस लॉबी भी इसके खिलाफ़ हो हल्ला कर रही है मगर आगे क्या होगा हर कोई समझता ही है। इससे पहले बिहार के ही बड़े डॉन और पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन को भी बिहार के बड़े नेता लालू यादव का वरदहस्त हमेशा हासिल रहा और कोरोना द्वारा लील लिए जाने से पूर्व उसने भी जेल और जेल के बाहर तमाम सुख सुविधाओं का सुख लूटा। बिहार के एक अन्य डॉन अनंत सिंह भी मुख्य मंत्री नितीश कुमार की कृपा पात्रता का लाभ ले रहे हैं तो उधर डॉन पप्पू यादव के सिर पर लालू यादव की अटूट कृपा दशकों से बरस रही है। केवल बिहार की ही बात क्यों करें, उत्तर प्रदेश का भी तो यही हाल है। सत्ता के नजदीक रहने वाले माफियाओं का बाल भी बांका नहीं हो रहा और वोट की राजनीति में जो मुफीद नहीं हैं, केवल उन्हें मिट्टी मे मिलाने की बातें हो रही हैं।

उत्तर प्रदेश में इस समय कुल 65 रजिस्टर्ड माफिया हैं और केवल वही मुसीबत में हैं जो सत्ता के करीबी नहीं हैं। राजा भैया का आतंक और कारनामे अतीक अहमद से कम नहीं हैं मगर आज वह धड़ल्ले से विधान सभा में मंत्रियों के साथ बैठता है। हां यह बात और है कि मायावती के शासन में उसकी सारी हेकड़ी निकाल कर उसे जेल भेज दिया गया था । बसपा और सपा की सरकारों में अतीक के जलवे थे जिसे अब कथित तौर पर अब मिट्टी में मिला दिया गया। उस समय अभिषेक सिंह और ब्रजेश सिंह की जान को बन आई थी मगर आज दोनो जेल में हों या बाहर उनका जलवा ही रहता है। कुल जमा बात यह है कि एक सरकार का बड़ा नेता अगली सरकार में माफिया हो जाता है और पिछली सरकार का माफिया नई सरकार में मंत्री बन जाता है। आंकड़े बोलते हैं कि डॉन, माफिया और हत्यारा वही है जिसे सत्ता ऐसा कहे वरना वह पीड़ित और शोषितों का मसीहा है। इतिहास गवाह है कि बाइस लोगों को एक कतार में खड़ा कर गोलियों से भून देने वाली फूलन देवी को मुलायम सिंह ने न केवल जेल से छुड़वाया बल्कि मिर्जापुर से सांसद भी बनवा दिया था । अजब मुल्क है और अजब है इसकी राजनीति। कांग्रेस की सरकार में जो तड़ीपार होता है भाजपा सरकार में वो गृह मंत्री बन जाता है और फिर वही आदमी कांग्रेस की सरकार में गृह मंत्री रहे नेता को जेल भेज देता है। कभी कांग्रेस लौटी तो क्या पता फिर इतिहास दोहराया जाए । अब जनता समझती फिरे कि कौन सही है और कौन गलत । चुनाव बारह महीने और चौबीसों घंटे लड़े जा रहे हैं और पैसे और बाहुबलियों के अलावा किसी का कोई मोल नहीं बचा । नासमझ जनता इसी भुलावे में जीती रहती है कि सरकारें हम बनाते हैं। उत्तर प्रदेश में 403 विधायकों में से 205 पर आपराधिक मामले हैं तो बिहार में 163 में से 123 ऐसे हैं। लोकसभा भी दूध की धुली नहीं है और वहां 539 सांसदों में से 233 ने हलफनामा देकर स्वीकार किया है कि उनके खिलाफ आपराधिक मामले चल रहे हैं। अब आप गुणगान करते रहिए कि हम दुनिया का सबसे बड़ा लोकतन्त्र हैं। आपसे कोई नहीं पूछने जा रहा कि यह कैसा लोकतन्त्र है जहां माफियाओं के ही बड़े नेता बनने की गुंजाइश सबसे ज्यादा क्यों है ? कोई यह सवाल नहीं करेगा कि हमारे हिस्से जो लोकतंत्र आया है उसमें क्यों केवल जाति और धर्म ही महत्वपूर्ण है और बाकि सब गौण है ? कोई नहीं पूछेगा कि दिमागों के इस गोबर से आखिर हमें कब मुक्ति मिलेगी ?

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