मसूरी की एक चोटी और एवरेस्ट

रवि अरोड़ा
विगत पचास वर्षों में दर्जनों बार पहाड़ों की रानी मसूरी आ चुका हूं मगर अब तक इस जानकारी से महरूम रहा कि यहां न केवल कभी सर जार्ज एवरेस्ट का भी घर था बल्कि इस पूरी घाटी को भी एवरेस्ट घाटी कहा जाता था । इसे अपना अल्प ज्ञान न कहूं तो और क्या कहूं कि एवरेस्ट का नाम सुनते ही दुनिया की सबसे बड़ी चोटी का नाम तो हमेशा याद आता था मगर यह पता करने की कभी कोशिश ही नहीं की कि आखिर यह एवरेस्ट था कौन ? इस बार जब मसूरी गया तो इत्तेफ़ाकन सर जार्ज एवरेस्ट के नाम पर बने एक भव्य म्यूज़ियम भी जाना हुआ और जानकारियों में इतना इजाफा हुआ कि दिल किया कि क्यों न इसे आपसे भी साझा किया जाए ।
मशहूर खगोलविद और मित्र अमिताभ पांडे की कंपनी स्टार स्केप्स ने हाल ही में उत्तराखंड सरकार के सहयोग से आम लोगों को सूरज, चांद, सितारों और ग्रहों को आधुनिक दूरबीनों से दिखाने की तीन दिवसीय नक्षत्र सभा 2024 का आयोजन मसूरी में किया था । इस सभा में देश भर से सैंकड़ों लोग जुटे थे । मेरा भी परिवार समेत वहां जाना हुआ । यह आयोजन हाथी पोल के निकट की एक चोटी पर कुछ साल पहले ही बने सर एवरेस्ट म्यूजियम के प्रांगण में हुआ था । भारत में सर्वे ऑफ इंडिया की शुरुआत करने वाले और देश के प्रथम सर्वेयर जनरल सर जार्ज एवरेस्ट का यहां कभी घर और प्रयोगशाल थी और दशकों तक वे यहीं रहा करते थे । साल 1790 में जन्मे एवरेस्ट 1866 तक जिंदा रहे और दुनिया उन्हें खगोलीय उपकरणों के अविष्कार और धरती के दर्जनों स्थानों की सही सही माप बताने के लिए याद करती है। गणितज्ञ और खगोलविद सर एवरेस्ट ने गंगा और हुगली की माप संबंधी इंसानी जानकारियों में इजाफा करने के साथ साथ बनारस से लेकर कलकत्ता तक के गंगा से मार्ग का भी सही सही सर्वेक्षण किया था । कन्याकुमारी से लेकर हिमालय की ऊंची ऊंची चोटियों की भोगौलिक माप का श्रेय भी उन्हीं के खाते में है। दुनिया की सबसे ऊंची चोटी एवरेस्ट पर बिना वहां गए उसकी सही सही ऊंचाई बता कर भी उन्होंने पूरी दुनिया को हैरान कर दिया था । यही कारण है कि साल 1865 में रॉयल ज्योग्राफिकल सोसाइटी ने इस चोटी का नाम उनके नाम पर रखा दिया जबकि इससे पहले उसे पीक 15 कहा जाता था । नेपाल में उसे सागर माथा और तिब्बत में चोलीलुंगना के नाम से पुकारा जाता था । सर एवरेस्ट ने ही उस दौर में मात्र बीस इंच लम्बे एक थियोडोलाइट यंत्र का निर्माण किया जिससे चांद सितारों की धरती से दूरी का भी मानव जाति को ठीक ठीक अंदाजा हुआ ।
आज बेशक हमारे पास सुपर कम्प्यूटर और न जाने कैसे कैसे सॉफ्टवेयर और यंत्र हैं और मात्र अपने फोन में झांक कर ही हम दुनिया का इंच दर इंच पता लगा लेते हैं मगर अनुमान लगाइए कि डेढ़ दो सदी पहले कैसे भौगोलिक माप तय करने के लिए सर एवरेस्ट की टीम को पैरों में रस्सी बांध कर और पैदल चल कर दूरी का नक्शा बनाना पड़ता था । यही कारण था कि देश की लंबाई मापने में सर एवरेस्ट को पूरे 47 साल लग गए और इस दौरान न जाने कितने उनके कर्मचारियों को जंगली जानवर खा गए और न जाने कितने मलेरिया का शिकार होकर दुनिया से कूच कर गए ।
उत्तराखंड सरकार ने चार साल पहले ही 23 करोड़ रुपए की लागत से सर जार्ज एवरेस्ट के घर और प्रयोगशाला का जीर्णोद्धार कराया है और इसे अब देखने योग्य स्थान बना दिया है। पहाड़ पर दो किलो मीटर ऊंचा चढ़ कर आपको सर एवरेस्ट का घर देखने का तो अवसर मिलता ही है साथ ही बस थोड़े से पैसे देकर आप उस दौर के एस्ट्रोनोमिकल यंत्र और सर एवरेस्ट का बीस इंच का वह यंत्र भी देख सकते हैं जो उस दौर में इंसानी प्रजाति को कई कदम आगे ले गया था । खास बात यह भी है कि इस कार्टोग्राफी संग्रहालय में सर एवरेस्ट के साथ साथ उनके परम सहयोगी तथा भारतीय गौरव नैन सिंह रावत, किशन सिंह नेगी और गणितज्ञ राधा नाथ सिकदर की स्मृतियों को भी करीने से संजोया गया है। यही वो लोग थे जो इस महती सर्वे में इतने मशगूल हो गए कि दशकों तक अपने घर ही नहीं लौटे और उनके परिजनों ने उन्हें मृत मानकर उनके श्राद्ध आदि भी कर दिए । इस संग्रहालय के बारे में इतनी तफसील से बताने का मेरा केवल यही आशय है यदि आप भी खगोल, भू विज्ञान और ऐसे ही अन्य विषयों के बाबत जिज्ञासु हैं तो पहला मौका लगते ही इस संग्रहालय का चक्कर लगा आइए ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

RELATED POST

भक्तों का मार्ग दर्शक मंडल

भक्तों का मार्ग दर्शक मंडलभगवान अपने भक्तों की परीक्षा लेते हैं। हमारे मोदी जी भी लेते हैं। भगवान विपरीत परिस्थित…

भारत पाक युद्ध के नायक प्रतिनायक

रवि अरोड़ाशुक्र है कि युद्ध विराम हो गया । इतिहास गवाह है कि युद्ध किसी मसले का हल नहीं वरन्…

खलनायक की तलाश

खलनायक की तलाशरवि अरोड़ापहलगाम में हुए आतंकी हमले से मन बेहद व्यथित है। गुस्सा, क्षोभ और बदले की भावना रगों…

माचिस थामे हाथ

माचिस थामे हाथरवि अरोड़ामुर्शिदाबाद में हुई हिंसा और आगजनी से मन व्यथित है। तीन हत्याएं हुईं और कई सौ घर…