बेक़द्री खटराग की भी

रवि अरोड़ा
एक ज़माने में पिताजी के साथ उनके हापुड़ रोड स्थित कार्यालय पर बैठता था । भारी ट्रैफ़िक और चहल पहल वाली उस सड़क से अक्सर शव यात्राएँ भी गुज़रती थीं । जैसे ही कोई शव यात्रा हमारे कार्यालय के निकट पहुँचती , पिताजी सब काम धाम छोड़कर कुछ कदम तक उसके साथ हो लेते । बहुत अधिक व्यस्तता हो तब भी शव के सम्मान में हाथ जोड़ कर अपनी जगह खड़े तो अवश्य हो जाते थे । कारण पूछने पर पिताजी ने एक बार धार्मिक और सांस्कृतिक परम्पराओं का लम्बा चौड़ा भाषण भी पिलाया । उनकी देखा देखी कुछ समय बाद यह आदत मुझे भी पड़ गई और किसी शव यात्रा को देख कर मेरे हाथ अपने आप ही जुड़ जाते हैं । नई पीढ़ी की बात नहीं करता मगर मेरी अथवा मुझसे बड़ी उम्र के अधिकांश लोगों को तो एसा करते अब भी मैं देखता हूँ । मृतआत्मा की निंदा करने से तो अधिकांशत हम सभी बचते ही हैं । कभी कभी अपनी इस परम्परा का स्मरण करूँ तो गर्व सा महसूस होता है । मगर कोरोना संकट के इस दौर में आजकल शवों की हो रही बेक़द्री और उनसे हो रहे दुर्व्यवहार की ख़बरों से मन हैरत में पड़ जाता है । क्या ये सब करने वाले लोग भी मृतकों को सम्मान देने वाली उसी समृद्ध परम्पराओं से आते हैं ? क़ूड़ा गाड़ियों में शवों को ढोने वाले , उन्हें घसीटने वाले और बोरियों की तरह एक के ऊपर शवों को लादने वाले भी क्या दुनिया की सबसे पुरानी संस्कृति के हिस्सा हैं ? माना संकट बड़ा है मगर अभी से हम अमानवता पर उतर आये तो आने वाले महीनों में क्या होगा ?
यह बहुत अच्छा हुआ कि सुप्रीम कोर्ट ने शवों की बेक़द्री का स्वतः संज्ञान ले लिया और दिल्ली, महाराष्ट्र, तमिलनाडू और पश्चिमी बंगाल की सरकारों को नोटिस जारी कर दिया । पिछले कई दिनो से सोशल मीडिया पर जिस तरह के वीडियोज आ रहे हैं , वह तो यही साबित कर रहे हैं कि हमारी मानवता सो चुकी है । उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले में एक वृद्ध के शव को क़ूड़ागाड़ी में लाद कर पोस्टमार्टम के लिए ले जाया गया। बंगाल में शव को घसीटने की घटना का ज़िक्र स्वयं वहाँ के राज्यपाल ने किया और दिल्ली में एक ही शव वाहन में एक के ऊपर एक लाद कर छः छः शवों को शमशान घाट लाने वीडियो सुप्रीम कोर्ट में दिखाए गए । मानवता को शर्मसार करने वाले इन वीडियोज से स्पष्ट है कि शवों को संस्कारजन्य सम्मान तो हम दे ही नहीं साथ ही शवों के जो क़ानूनी रूप से अधिकार हैं , उससे भी उन्हें वंचित कर रहे हैं । सुप्रीम कोर्ट के ही एक फ़ैसले के अनुरूप समय से सम्मानजनक तरीक़े से अंतिम संस्कार हम शव का हक़ है ।
इसमें तो कोई दो राय नहीं कि दिल्ली में कोरोना के इलाज की हालत बेहद ख़स्ता है । बीमारों के बीच शव पड़े होने , लाशों की अदला बदली, परिजनों को मरीज़ की मौत के बाबत न बताने , अस्पताल में मरीज़ के गुम होने, एक साथ कई कई शव एक ही वाहन में शमशान घाट भेजने की शिकायतें रोज़ मिल रही हैं । इलाज तो एक तरफ़ अब शवों के निस्तारण में भी घोर लापरवाही सामने आ रही हैं । निगम बोध घाट के अतिरिक्त पंचकुइया व पंजाबी बाग़ शमशान घाट में कोरोना के मरीज़ों के शवों का अंतिम संस्कार शुरू हो जाने के बावजूद वहाँ वेटिंग की स्थिति बन गई है । हालाँकि सुबह सात बजे से रात दस बजे तक संस्कार हो रहे हैं मगर फिर भी शव अस्पतालों की मोर्चरी में वापिस भेजे जा रहे हैं । सबसे ज़्यादा बेक़द्री उन शवों की हो रही है जिसके परिजन उसे लेने नहीं आए । कोरोना के ख़ौफ़ के चलते बुज़ुर्गों के शवों के साथ सबसे ज़्यादा एसा हो रहा है ।
अपने शहर ग़ाज़ियाबाद की बात करूँ तो यहाँ कौन सी हालत ठीक है । प्रशासन का पूरा ज़ोर मरीज़ों और मृतकों की संख्या कम करके दर्शाने पर है । बहुत दबाव के बाद कोरोना मरीज़ों के अंतिम संस्कार हेतु बिजली संयंत्र चालू हुआ था मगर एक हफ़्ते में ही यह संयंत्र बंद हो गया । नतीजा सामान्य थड़ों पर ही कोरोना मरीज़ों का भी क्रिया कर्म हो रहा है । जब किसी कोरोना मरीज़ का शव आता है तो सामान्य शवों के संस्कार का काम घंटों बाधित रहता है । दिन के कई कई घंटे लोग शवों के साथ अपनी बारी का इंतज़ार हिंडन तट पर करते रहते हैं । शुरुआती दिनो में कोरोना मरीज़ के शव के साथ प्रशासनिक अमला भी होता था और स्वास्थ्यकर्मी ही क्रिया क्रम करते थे मगर अब तो परिजन ही उलटी सीधी पीपीई किट पहन कर इस कार्य को सम्पन्न कर रहे हैं । ख़बरें बता रही हैं कि अभी स्थितियाँ और बिगड़नी हैं । पता नहीं कहाँ जाकर लौटेंगे हालात । उम्र भर का इंसानी खटराग दुनिया से जिस सम्मानजनक विदाई को होता है उसी का अब भरोसा नहीं । पता नहीं हममें से और किस किस के साथ होनी है ये बेक़द्री ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

RELATED POST

बदजुबानों की फ़ौज

बदजुबानों की फ़ौजरवि अरोड़ाअटल बिहारी वाजपेई ने अपनी गलत बयानी पर एक बार कहा था कि चमड़े की जबान है,…

गपोड़ गाथा

भारत पाकिस्तान के बीच हुए संक्षिप्त युद्ध की भारतीय टीवी चैनल्स द्वारा की गई रिपोर्टिंग देखकर पंजाब की एक मशहूर…

भक्तों का मार्ग दर्शक मंडल

भक्तों का मार्ग दर्शक मंडलभगवान अपने भक्तों की परीक्षा लेते हैं। हमारे मोदी जी भी लेते हैं। भगवान विपरीत परिस्थित…

भारत पाक युद्ध के नायक प्रतिनायक

रवि अरोड़ाशुक्र है कि युद्ध विराम हो गया । इतिहास गवाह है कि युद्ध किसी मसले का हल नहीं वरन्…