फिर छिड़ी बात वैक्सीन की

रवि अरोड़ा
आप सभी को बहुत बहुत बधाई । दुनिया में कोरोना की पहली वैक्सीन बन गई और हमारे पुराने मित्र देश रशिया ने ही इसे बनाया है । क्या कहा कि इस वैक्सीन को लेकर अभी आपके मन में संशय है ? अच्छा ! तो आप भी उस खेल का शिकार हो गए जो दुनिया भर में कोरोना की वैक्सीन को लेकर कल से खेला जा रहा है । आपने भी आप अख़बारों और टीवी में वैक्सीन की खोज से बड़ी ख़बरें उस पर उठे सवालों की देखी होंगी । डब्ल्यूएचओ ने क्या कहा और दुनिया भर के बड़े वैज्ञानिकों की इस पर क्या राय है, यह सवाल आपके दिमाग़ में भी ज़रूर डाले गए होंगे । अरे जनाब ये बड़े लोगों के खेल हैं और आपकी हमारी समझ से ऊपर हैं । बाज़ी रशिया ने कैसे मार ली, सारी खिसियाहट उसी की है । अरबों रुपये की कमाई का मामला है जी । बाक़ी लोग देखते ही रह गए और रशिया को बीस देशों से एक अरब डोज़ का ओर्डर भी मिलने जा रहा है । अब एसे में प्रतिद्वंदियों को डब्ल्यूएचओ, सरकारें, मीडिया और विशेषज्ञ सभी मैनेज तो करने ही पड़ेंगे न । अज़ी आप इस विवाद में मत पड़िए और बधाई लीजिये बस । शुक्र कीजिये कि इस ख़तरनाक महामारी का तोड़ तो आख़िरकार निकला ।
वैसे शय मात तो हर खेल का नियम है जनाब । नौ महीने से दुनिया भर में 165 वैक्सीन पर काम चल रहा था । छः वैक्सीन तो तीसरे चरण में भी पहुँच गई थीं। दो वैक्सीन को विकसित करने में बिल गेट्स की संस्था भी अच्छा ख़ासा पैसा लगाए बैठी है । इन सभी वैक्सीन निर्माता फ़ार्मा कम्पनियों के शेयर आसमान छू रहे थे मगर रशिया ने सभी को ज़ोर का झटका धीरे से दे दिया । सीधा सा हिसाब है कि दुनिया भर में जिस कम्पनी की वैक्सीन लगेगी वह अरबों डालर में खेलेगी । इस धरती पर फ़ार्मा उद्योग सवा लाख करोड़ डालर का है और उसमें भी तीस फ़ीसदी अकेला वैक्सीन का बाज़ार है । वैक्सीन का अस्सी फ़ीसदी धंधा दो अमेरिकी कम्पनी के पास है जो कोरोना की वैक्सीन भी विकसित कर रही हैं । अब आप स्वयं अंदाज़ा लगाइये कि फ़ार्मा उद्योग में इस वैक्सीन को लेकर किस हद तक मार काट मची होगी ।
वैसे सवाल यह भी है रशिया की वैक्सीन स्पूतनिक-वी सम्बंधी डब्ल्यूएचओ के आरोपों को गम्भीरता से क्यों लिया जाए ? उस डब्ल्यूएचओ को, जिसके ख़िलाफ़ आरोप है कि चीन से मिली भगत के चलते उसने कोरोना की चेतावनी देर से जारी की ? वही डब्ल्यूएचओ जिसने सार्स जैसी ख़तरनाक बीमारी को लेकर दुनिया को गुमराह किया और इबोला महामारी को लेकर सुस्त रवैया अपनाया ? उसकी संदिग्ध कार्यशैली के चलते ही हाल ही में दुनिया के 62 देशों ने मिल कर उसके ख़िलाफ़ मोर्चा खोला और उसके ख़िलाफ़ निष्पक्ष जाँच की माँग की ? उस प्रस्ताव पर स्वयं भारत ने भी हस्ताक्षर किये । यह ठीक है कि रशिया ने वैक्सीन सम्बंधी अन्तर्राष्ट्रीय दिशा निर्देशों का पालन नहीं किया और अपनी वैक्सीन के ट्रायल सम्बंधी जानकरियाँ भी सार्वजनिक नहीं कीं मगर अब जब रशिया के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतीन स्वयं इस वैक्सीन की घोषणा कर अपनी बेटी से इसके टीकाकरण की शुरुआत कर रहे हैं तो तमाम संशय समाप्त हो ही जाने चाहिये न । यूँ भी रशिया अपनी अधिकांश जानकरियाँ अंतराष्ट्रीय पटल पर रखता ही कहा है ? हो सकता है कि इस बार भी उसने यही नीति अपनाई हो ।
ख़ैर इस पूरे पचड़े से इतर अपने दिमाग़ में तो बस एक सवाल है कि इस मामले में भारत का स्टैंड क्या होगा ? क्या वह अमेरिका का पिछलग्गू बन कर किसी अमेरिकी कम्पनी की वैक्सीन का इंतज़ार करेगा या अपने ही देश में बायोटेक ,जायडस कैडिला और अरविंदो फ़ार्मा जैसी कम्पनियों की वैक्सीन बनने तक हाथ पर हाथ धरे बैठेगा ? या फिर दुनिया के बीस अन्य देशों की तरह तुरंत रशिया के गामालेया शोध संस्थान व रूसी रक्षा मंत्रालय के संयुक्त प्रयासों से बनी इस राशियन वैक्सीन मँगवा कर अपने नागरिकों की तुरंत जान बचाएगा ? आपको क्या लगता है ?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

RELATED POST

बदजुबानों की फ़ौज

बदजुबानों की फ़ौजरवि अरोड़ाअटल बिहारी वाजपेई ने अपनी गलत बयानी पर एक बार कहा था कि चमड़े की जबान है,…

गपोड़ गाथा

भारत पाकिस्तान के बीच हुए संक्षिप्त युद्ध की भारतीय टीवी चैनल्स द्वारा की गई रिपोर्टिंग देखकर पंजाब की एक मशहूर…

भक्तों का मार्ग दर्शक मंडल

भक्तों का मार्ग दर्शक मंडलभगवान अपने भक्तों की परीक्षा लेते हैं। हमारे मोदी जी भी लेते हैं। भगवान विपरीत परिस्थित…

भारत पाक युद्ध के नायक प्रतिनायक

रवि अरोड़ाशुक्र है कि युद्ध विराम हो गया । इतिहास गवाह है कि युद्ध किसी मसले का हल नहीं वरन्…