पर्सनेलिटी कल्ट
रवि अरोड़ा
लीजिये अब अमिताभ बच्चन और उनके परिवार को भी कोरोना हो गया । बेटा, बहु और पोती भी चपेट में आ गये । पिछले तीन महीने से बच्चन साहब हमारे पीछे लगे थे । कभी भी टीवी खोलो, किसी भी चैनल पर चले जाओ वे हर जगह सूट-बूट पहन कर आ जाते थे और समझाने लगते थे कि कोरोना से कैसे बचा जा सकता है । दो गज़ की दूरी व हाथों की सफ़ाई जैसी हर बात विस्तार से बताते थे मगर हाय रे कोरोना ने उन्हें भी नहीं बक्शा । अमिताभ बच्चन बेहद पढ़े लिखे और जागरूक इंसान हैं अतः एसी कोई वजह नहीं हो सकती कि जिस बात की घुट्टी वे दिन भर लोगों को पिलाते हैं , उनका पालन ख़ुद नहीं करते होंगे । ख़बर है कि पिछले कई महीने से वे और उनका परिवार घर में ही था । एकाध बार बेटे अभिषेक बच्चन को डबिंग के सिलसिले में ज़रूर बाहर जाना पड़ा मगर अधिकांशत वे भी घर में ही रहे । बच्चन साहब और उनका परिवार जल्द स्वस्थ होकर अस्पताल से घर लौटे एसी कामना उनके चाहने वाले कल से कर रहे हैं । अपने मन का भी यही भाव है मगर साथ ही साथ मन में यह आकलन भी चल रहा है कि देश के सर्वाधिक लोकप्रिय लोगों में से एक व्यक्ति को पहली बार कोरोना ने चंगुल में लिया है, इसका भारतीय जनमानस पर क्या प्रभाव होगा ? क्या इस ख़बर के बाद लोग बाग़ और लापरवाह हो जाएँगे कि हमें समझाने वाले को ही ये बीमारी हो गई तो हम क्या चीज हैं ? अथवा सदी के महानायक के भी इसकी चपेट में आ जाने से बीमारी के ख़तरे को लोग अब गम्भीरता से लेना शुरू करेंगे और सोचेंगे कि यह बीमारी किसी को भी हो सकती है सो बच कर रहने में ही भलाई है ।
कोरोना को लेकर जनमानस को जागरूक करने में हालाँकि सरकार ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है मगर स्वभाव से ही लापरवाह भारतीय जनता इससे क़तई भी भयभीत नज़र नहीं आती । लॉक़डाउन हो या अनलॉक़ हमारी रीति-नीति में कोई ख़ास फ़र्क़ नहीं पड़ा । मेरी समझ से इसका एक प्रमुख कारण यह भी है कि कदम कदम पर असली आँकड़े छुपा कर सरकार ने भी अब तक महामारी की विभीषिका पर पर्दा डाला है । जबकि हक़ीक़त यह है कि कोरोना के मामले में भारत आज दुनिया का तीसरा सबसे प्रभावित देश है और महामारी के प्रसार की यही गति रही तो दुनिया का अगला हॉटस्पॉट भारत को बनने से रोका ही नहीं जा सकेगा । दुनिया भर के विशेषज्ञ इस महामारी के संदर्भ भारत की तस्वीर धुँधली बताते हैं । उनके अनुसार जब टेस्ट ही नहीं होंगे तो मरीज़ का पता ही कैसे चलेगा और जब मरीज़ की पहचान ही नहीं होगी तो बीमारी के संक्रमण पर भी रोक कैसे लगेगी । उनके इस कथन की पुष्टि यह आँकड़ा भी करता है कि भारत सरकार ने मई माह में देश भर में बेतरतीब 26 हज़ार टेस्ट कराये थे और उनमे से .73 फ़ीसदी लोग कोरोना पॉजिटिव निकले थे । यानि पूरे देश की आबादी के अनुरूप मई माह में ही भारत में एक करोड़ कोरोना के मरीज़ थे । चूँकि मई के बाद औसतन बीस दिन में मरीज़ों की संख्या दुगनी हो रही है अतः इस हिसाब से भारत में इस समय कम से कम चार करोड़ कोरोना के मरीज़ होंगे मगर सरकारी आँकड़ा बमुश्किल साढ़े आठ लाख ही दिखा रहा है । मृत्यु दर को लेकर भी यही स्थिति है । मरीज़ के रूप में चिन्हित नहीं हुए लोगों की मौत भी इस फ़ेयरिस्त से बाहर रहती है । सरकार नित नए लुभावने आँकड़े जारी कर न केवल ख़ुद भ्रम पाल रही है अपितु जनता के बीच भी झूठी सकारात्मकता का माहौल बना रही है ।
अमिताभ बच्चन जैसी बड़ी शख़्सियत के भी इस महामारी की चपेट में आने से यक़ीनन लोगों का ध्यान अब इस विभीषिका की ओर जाएगा । यूँ भी भारतीय जन मानस पर्सनेलिटी कल्ट में जीता है । व्यक्ति पूजा के मामले में फ़िल्मी सितारे कुछ अधिक ही आदर पाते हैं और अमिताभ बच्चन तो अमिताभ बच्चन हैं । बच्चन साहब आप शीघ्र स्वस्थ हों एसी कामना है मगर एक बात क्षमा सहित कहना चाहूँगा कि शायद आपकी बीमारी वह काम कर जाये तो पिछले तीन महीने से टीवी पर बार बार आकर आपकी सलाहें नहीं कर सकीं ।