ताड़ने वालों की दुनिया
रवि अरोड़ा
धीरेंद्र शास्त्री यानि बागेश्वर धाम सरकार का खेल समझने के लिए कई बार उसके वीडियो देखने की कोशिश की मगर हरबार पांच मिनट से ज्यादा झेल नहीं पाया। बाबा की फैंसी वेशभूषा, बात बात पर ताली बजाना और तरह तरह के खेल तमाशे तो जैसे तैसे बर्दाश्त कर भी लेता था मगर ज़हर में डूबी उसकी बातें कतई सहन नहीं हो पाती थीं। माना कि हम भारतीय हैं ही इस लायक कि कमअक्ल और हल्के वकार के लोग हमारे दिलों पर राज करें मगर फिर भी हमारी कमअक्ली की कोई परीक्षा ले, यह भी तो ठीक नहीं। वैसे मुझे यह बात पूरी तरह स्वीकार है कि समाज की कई सतह होती हैं और यहां हर तरह के विचार की पूरी गुंजाइश है। इसी का लाभ शास्त्री जैसे लोग लें तो क्या हैरानी है। गए ज़माने में नज़ीर अकबराबादी अपने आदमीनामा में समझा भी गए थे कि हर तरह का आदमी है यहां। इबादत करने वाला, उसकी जूती चुराने वाला और यहां तक कि उसको ताड़ने वाला सब आदमी ही तो हैं।
देखकर हैरानी हुई कि मात्र बारहवीं पास 26 साल के एक नए नए बाबा धीरेंद्र शास्त्री के यूट्यूब पर 37 लाख फालोअर हैं और फेसबुक पर भी 40 लाख लोग उससे जुड़े हुए हैं। बडे़ बड़े मंत्री संत्री बाबा के मुरीद हैं और बाबा के जिले छतरपुर का पूरा जिला प्रशासन बाबा की उंगलियों पर नाच रहा है। गांव के तालाब और श्मशान पर बाबा के लोगों का कब्जा है और इलाके में प्रॉपर्टी का खेल शुरू हो गया है। कुछ अरसा पहले साइकिल पर चलने वाला बाबा अब चार्टेड प्लेन और लंबी लंबी गाड़ियों के काफ़िले के साथ चलता है। बाबा भी प्रसिद्धि के सारे टोटके सीख गया है और सोशल मीडिया के सहारे घर घर पहुंच रहा है । उसके वीडियो तकनीकि रूप से समृद्ध लोग तैयार और पोस्ट कर रहे हैं। गूगल पर अपनी पहुंच बढ़ाने के सही कीवर्ड का इस्तेमाल और आकर्षक थंबनेल का भी भरपूर खयाल रखा जा रहा है। बाबा किसी कानूनी दांवपेंच में न फंसे इसकी भी निश्चित रूप से ट्रेनिग हो रही होगी और तमाम तरह की साम्प्रदायिक बातें अपनी प्रवचनों में करने के बावजूद बाबा को पता है कि क्या क्या स्पष्ट कहना है और क्या क्या इशारे इशारे में। बाबा की राजनीतिक समझ की भी दाद देनी पड़ेगी कि कांग्रेस से शुरू कर उसने बाद में भाजपा से अपनी पींगे बढ़ा लीं। बाबा को पता है कि केन्द्र और उसके कार्य क्षेत्र वाले राज्यों में जिस पार्टी की सरकार है, उसके साथ कदम ताल करने में ही भलाई है। यूं भी तमाम बाबाओं के लिए आज की तारीख में भाजपा से बेहतर भला और कौन सा राजनीतिक दल होगा ?
आपकी जानकारी के लिए मैं स्पष्ट कर दूं कि मुझे इस बाबा की बढ़त से कतई कोई दिक्कत नहीं है। मैंने तो पहले ही मान लिया है कि समाज की कई सतह होती ही हैं। मुझे तो परेशानी इस बात से है कि समाज की तमाम सतहों में अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के श्याम मानव जैसे लोग इतनी निचले पायदान पर क्यों हैं ? श्याम मानव वही हैं जिन्होंने बाबा के चमत्कारों को चुनौती दी थी और उन्हीं के डर कर बाबा नागपुर छोड़ कर भाग गया था। श्याम मानव पिछले चालीस साल से तार्किकता और विज्ञान की अलख दुनियाभर में जगा रहे हैं अब तक सैंकड़ों फर्जी बाबाओं का पर्दाफाश कर चुके हैं। देख कर हैरानी हुई कि श्याम मानव के फेसबुक मात्र 12 हज़ार फालोअर हैं और उनके यूट्यूब चैनल को भी मात्र 15 हजार लोगों ने अभी तक सबस्क्राइब किया है। श्याम मानव इकलौते ऐसे इंसान नहीं हैं। जादू टोने और चमत्कारों के नाम पर भोली भाली जनता को ठगने वाले फर्जी बाबाओं का पर्दाफाश करने वाले नरेंद्र दाभोलकर, गोविंद पानसरे, एमएम कलबुर्गी और गौरी लंकेश जैसे लोगों को भी हम भला उनकी हत्या से पहले कहां जानते थे । जनाब! इबादत करने वाले और उनकी जूतियां चुराने वालों को तो देख ही रहे हो मगर कुछ निगाहे करम श्याम मानव जैसे ताड़ने वालों पर भी हो जाए । आज के दौर में इनकी ज्यादा जरूरत है।