जहां जा रही है दुनिया

रवि अरोड़ा
मैने सन 1978 में एम एम एच कॉलेज में एडमिशन लिया था । पता चला कि कॉलेज में एक लड़का नशेड़ी है और स्मैक पीता है । घर वाले डर गए कि कहीं हमारा लड़का भी उसकी सोहबत में न पड़ जाए । यार दोस्तों के घर वालों की भी रातों की नींद उड़ी हुई थी । किसी तरह प्रिंसिपल तक शिकायत पहुंचाई गई और दबाव बनाकर उस लड़के को कॉलेज से निकलवाया गया । हालांकि उस दौरान कुछ ऐसे लड़के भी पहचान मे आए थे जो शराब पीते थे । बेशक तब शराबी ऐसे ही कुख्यात होते थे जैसे अब शराब न पीने वाले
मगर फिर भी उन्हें जैसे तैसे सभ्य समाज में जगह मिल ही जाती थी । सो वे बच गए । उधर, कुछ साल पहले बेटे को नोएडा की एक जानी मानी यूनिवर्सिटी में एडमिशन दिलवाया । अपने मां बाप की तरह मैंने भी बेटे से पूछा कि कालेज में कोई लड़का नशा तो नही करता ? बेटे ने हैरानी से मुझे देखा और बताया कि हर चौथा लड़का लड़की नशा करते हैं । बकौल उसके नशे का सामान खरीदने कहीं दूर भी नहीं जाना पड़ता और कालेज के गेट पर ही सब कुछ मिल जाता है । नोएडा ही नहीं मुंबई, पूना , बंगलुरु , चंडीगढ़ जैसे किसी बड़े शहर का नाम लो, सब जगह एक जैसी हालत है ।

फिल्म स्टार शाहरुख खान के बेटे के नशे से कनेक्शन और अडानी ग्रुप के मुंद्रा पोर्ट पर अब तक की सबसे बड़ी नशे की खेप के पकड़े जाने जैसी खबरों का आपस में कोई संबंध होता है या नही यह तो मुझे नहीं पता मगर इतना जरूर पता है कि ऐसी खबरों से अब कोई भूचाल नही आता । फिल्म स्टार और उनके बच्चे तो नशा करते ही हैं । पैसे वालों के बच्चे रेव पार्टियां नहीं करेंगे तो और कौन करेगा ? ज्यादा पैसा कमाने के लिए बड़े लोगों को सभी तरह के दंद फंद करने ही पड़ते हैं , यह अब हम मान कर चलते हैं । जिनकी ऊपर तक पहुंच हो उनके पाप भी पाप नहीं होते , यह भी अब हमने स्वीकार कर लिया है । बेशक खबरें मिलें कि पंजाब जैसे कुछ राज्यों की राजनीति को ताकत नशे के कारोबार से मिलती है और वहां का हर तीसरा नौजवान नशा करता है मगर फिर भी अब यह कोई खबर नहीं है । एक जमाना था जब किसी बदमाश को जेल भेजने का कोई और तरीका न मिले तो पुलिस उसके पास स्मैक की पुड़िया दिखा देती थी मगर अब जब स्मैक ही कोई खास चीज नहीं रही तो पुलिस को भी अपने तरीके बदलने पड़े ।

दुनिया हमारे देखते देखते बदल गई । आधुनिक और सामाजिक व्यक्ति बनने के लिए आजकल जैसे शराब पीना जरूरी हो चला है , उसी तरह आने वाले वक्त में चरस, गांजा, अफीम , हेरोइन और कोकीन जैसे पदार्थों को स्वीकृति मिलती दिखाई पड़ रही है । गांजा को वैध करने को लेकर तो आजकल पूरी दुनिया में मुहीम चल रही है । कनाडा और अमेरिका के अधिकांश राज्यों के अलावा अनेक देशों में अब यह खुलेआम बिकता है । एमेजॉन जैसी दुनिया की बड़ी कंपनियां भी इसकी ऑन लाइन बिक्री की वकालत कर रही हैं । भारत पर भी कुछ ऐसा ही दबाव है । वाइस जैसे दुनिया के मशहूर न्यूज पोर्टल ने हाल ही में भारत में नशे के कारोबार का जो खुलासा किया है उससे भी गांजा समर्थकों को और बल मिला है । अफगानिस्तान पूरी दुनिया को नशा सप्लाई करता है और तालिबान की आर्थिक रीढ़ अफीम की खेती ही है , यह जानते हुए भी तालीबानी सरकार को मान्यता देने को बड़े बड़े देश उतावले हो रहे हैं । क्या आपको अब भी कोई संदेह है कि दुनिया कहां जा रही है ?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

RELATED POST

जो न हो सो कम

रवि अरोड़ाराजनीति में प्रहसन का दौर है। अपने मुल्क में ही नहीं पड़ोसी मुल्क में भी यही आलम है ।…

निठारी कांड का शर्मनाक अंत

रवि अरोड़ा29 दिसंबर 2006 की सुबह ग्यारह बजे मैं हिंदुस्तान अखबार के कार्यालय में अपने संवाददाताओं की नियमित बैठक ले…

भूखे पेट ही होगा भजन

रवि अरोड़ालीजिए अब आपकी झोली में एक और तीर्थ स्थान आ गया है। पिथौरागढ़ के जोलिंग कोंग में मोदी जी…

गंगा में तैरते हुए सवाल

रवि अरोड़ासुबह का वक्त था और मैं परिजनों समेत प्रयाग राज संगम पर एक बोट में सवार था । आसपास…