जमात की खुदाई का चूहा

रवि अरोड़ा
बहुत दिन हो गए तबलीगी जमात और उसके मुखिया मौलाना साद की कोई ख़बर कहीं देखने सुनने को नहीं मिली । कहाँ गुम हो गए ये सब ? कोरोना संकट के शुरुआती दौर में तो सरकार और उसका पिट्ठू मीडिया सुबह शाम जमात जमात चिल्लाता था । स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल प्रतिदिन शाम को टीवी पर अवतरित होकर बताते थे कि आज जो लोग कोरोना से संक्रमित हुए, उनमे से इतने जमात से जुड़े हुए थे । तब तो रोज़ाना मौलाना साद का कच्चा चिट्ठा खोला जाता था मगर अब क्या हुआ ? यदि वह इतना बड़ा देश का दुश्मन था तो अभी तक उसे गिरफ़्तार क्यों नहीं किया ? जबकि वह दो महीने से अपने दिल्ली वाले घर में आराम से रह रहा है । कहीं एसा तो नहीं कि जमात का मामला हवा हवाई था और देश की फ़िज़ा ख़राब करने के लिए इसका इस्तेमाल किया गया ? और यदि एसा नहीं था तो इस मामले को अंजाम तक क्यों नहीं पहुँचाया गया ?
इसमें तो कोई दो राय नहीं कि तबलीगी जमात के दिल्ली मरकज़ की वजह से ही शुरुआती दौर में कोरोना के केस अचानक बढ़ गए थे । लॉकडाउन में ढाई तीन हज़ार लोगों का एक साथ एक ही जगह पर जुटे रहना वाक़ई अपराध था मगर अब क्या हो रहा है ? तब तो पूरे देश में केवल सौ पचास मामले थे और तूफ़ान सिर पर उठा लिया अब जब एक लाख मामले हैं और लाखों लाख मज़दूर सड़कों पर हैं तब कौन सा सोशल डिसटेंसिंग और लॉकडाउन का पालन हो रहा है ? उस घटना के दोषी मुस्लिम थे तो कोहराम मचा दिया और अब के गुनहगार ख़ुद हैं तो चुप्पी साध ली ?
दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच पिछले लगभग दो महीने से मौलाना साद के मामले में हाई वोल्टेज ड्रामा सा कर रही है । मौलाना के ख़िलाफ़ जिन धाराओं में मुक़दमा उसने दर्ज किया है उसमें अपराध साबित नहीं होता अतः मीडिया ट्रायल का सहारा लिया गया । मौलाना को अब तक चार बार नोटिस देकर जमात सम्बंधी जानकारी तो ली गई मगर उसे पूछताछ के लिए एक बार भी नहीं बुलाया गया । गिरफ़्तारी तो बहुत दूर की बात है । चूँकि ड्रामा करना है अतः उसके अन्य ठिकानों पर तो छापेमारी की गई मगर उसके ज़ाकिर नगर वेस्ट स्थित घर पुलिस एक बार भी नहीं गई । पुलिस ने जमात से जुड़े 166 लोगों के बयान तो लिए मगर स्वयं मौलाना से केवल चिट्ठी पत्री से ही बातचीत की । कमाल देखिए कि मौलाना ने अपनी मेडिकल रिपोर्ट भेज कर पुलिस को स्पष्ट कर दिया है कि उसे क़ोविड 19 नहीं है । इस स्पष्टीकरण के बाद पुलिस के पास उसकी गिरफ़्तारी से बचने का कोई बहाना नहीं बचा मगर पुलिस ने इसका भी तोड़ निकाल लिया और मौलाना को नोटिस दिया है कि अब हमें एम्स से टेस्ट करवा कर रिपोर्ट भेजो । दुःख विषय यह रहा कि फ़र्ज़ी भागदौड़ में क्राइम ब्रांच के ही तीन लोगों को अवश्य कोरोना हो गया ।
उधर जमात के अन्य लोगों की भी कुछ एसी ही कहानी है । जमात के 3288 लोगों को कवारंटीन किया गया था । उनमे से कितनो को कोरोना था यह सरकार ने नहीं बताया । जो छुटपुट समाचार मिले उनके अनुसार अधिकांश की रिपोर्ट नेगेटिव आई मगर समय सीमा समाप्त होने के बाद भी उन्हें घर जाने की इजाज़त नहीं दी गई । मामला हाई कोर्ट पहुँचा तो आनन फ़ानन उन्हें अनेक बंदिशों के साथ अब मुक्त किया गया । जमात के मामले में कार्रवाई के नाम पर सरकार के पास बताने को केवल इतना ही है कि उसने वीज़ा सम्बंधी नियमों का उल्लंघन करने पर साठ विदेशी जमातियों को गिरफ़्तार किया है ।कहावत है न कि खोदा पहाड़ और निकला चूहा मगर जमात के मामले में तो एसा लग रहा है कि चूहा भी खुदाई करने वाले ने लाकर वहाँ स्वयं रखा है ।

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