गिद्धों से अटी खेल की दुनिया

रवि अरोड़ा
पता नहीं ये नेता लोग सचमुच इतने चरित्रहीन होते हैं या यूं ही इनपर यौन शोषण के आरोप आए दिन लगते रहते हैं। अब भाजपा सांसद बृज भूषण शरण सिंह और उनकी अध्यक्षता वाली भारतीय कुश्ती महासंघ के कोचों को ही देख लीजिए। हैरानी की बात यह है कि इस तरह का आरोप लगाने वाले इस बार कोई मामूली लोग नहीं वरन अंतराष्ट्रीय स्तर के हमारे खिलाड़ी ही हैं। हालांकि भाजपा नेताओं पर ऐसा आरोप लगना कोई नई बात नहीं है और पूरे देश से इसी आशय की खबरें आए दिन मिलती ही रहती हैं। पार्टी के केंद्रीय मंत्री रहे एमजे अकबर और चिन्मयानंद समेत अनेक पार्टी विधायक ऐसे मामलों में अपनी और पार्टी की थू थू पहले भी करवा चुके हैं । मगर इस बार का मामला तो बेहद संगीन है। आरोप लगाने वाली चर्चित महिला पहलवान विनेश फोगाट 28 साल की हैं और सांसद महोदय फोगाट के पिता से भी अधिक उम्र के यानि 65 साल के हैं। कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष होने के नाते यूं भी वे खिलाड़ियों के अभिभावक जैसे ही तो हैं। यह सब कुछ ऐसा ही है जैसे कोई बाप अपनी ही बेटी पर गंदी नजर रखे । मगर कमल के फूल की बात करते करते कीचड़ लिए घूम रही इस पार्टी के लिए यह भी तो कोई नई बात नहीं है ।
अक्सर यह पूछा जाता है कि आजादी के 75 साल होने के बावजूद हम क्रिकेट से इतर खेलों के मामलों में इतने पिछड़े हुए क्यों हैं ? क्यों ले देकर केवल 7 गोल्ड, 7 ही सिल्वर और 16 कांस्य पदक ही ओलंपिक में हमारी झोली में आए ? दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाले देश के लिए क्या यह डूब मरने योग्य बात नहीं है ? ये पदक भी अमूमन हॉकी अथवा फौज के दम पर हमें मिले । निजी तौर पर भी हम अभिनव बिंद्रा और नीरज चोपड़ा जैसे खिलाड़ियों से आगे ही नहीं बढ़ पा रहे । शुक्र है कि हरियाणा जैसे छोटे से राज्य के खिलाड़ी उम्मीद की किरण बन कर सामने आए हैं। पहलवानी में तो इस राज्य का कोई सानी ही नहीं है । राज्य की गीता और बबीता फोगाट की कहानी पर दंगल जैसी फिल्म भी बन चुकी है। मगर क्या कारण है कि गीता बबीता की ही चचेरी बहन विनेश फोगाट ही अब महिला खिलाड़ियों के यौन शोषण की बात कर रही हैं ? पता नहीं उनके आरोप कितने सही हैं मगर उनमें यदि रत्ती भर भी सच्चाई है तो तुरंत मामले की सीबीआई जांच करा कर दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जानी चाहिए । वरना पहलवानी में जो थोड़ी बहुत रौशनी की किरण हरियाणा की लड़कियों ने दिखाई है, वह भी शीघ्र ही लुप्त हो जायेगी। सरकार को साबित करना ही पड़ेगा कि इस मामले को वह यूं ही हवा में नहीं उड़ाने जा रही है। सरकार को समझना ही पड़ेगा कि बड़ी मुश्किल से देश में खेलों को लेकर सकारात्मक माहौल बना है और यदि कुछ नहीं किया तो सब गुड गोबर हो जायेगा । दंगल फिल्म में महावीर फोगाट बने आमिर खान अपने गांव वालों से कहते हैं कि हमारी छोरियां छोरों से कम हैं के । सरकार की अब यह जिम्मेदारी है कि वह सुनिश्चित करे कि किसी महावीर फोगाट का सिर शर्म से न झुके ।

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