कम से कम गर्व की अनुभूति तो नहीं
कम से कम गर्व की अनुभूति तो नहीं
रवि अरोड़ा
सोशल मीडिया भी न जाने कैसी कैसी चुहल करता रहता है। अंतरिक्ष में 286 दिन बिता कर धरती पर लौटी सुनीता विलियम्स को लेकर भी न जाने क्या क्या कौतुक रचे जा रहे हैं। कोई लिख रहा है कि मोदी जी के कुशल नेतृत्व से ऐसा संभव हुआ तो कोई इसे मोदी जी के अथक प्रयासों का परिणाम बता रहा है। चलिए सोशल मीडिया तो है ही भोपुओं का औजार और ये जो न कर दे सो कम मगर इन कथित बड़े टीवी चैनल्स और अखबार वालों को क्या हुआ ? वे भी क्यों इस मैदान में कूद पड़े और बिना नासा अथवा सुनीता की पुष्टि के यह खबर चला दी कि सुनीता ने अंतरिक्ष से प्रयाग में संपन्न हुए कुंभ मेले की तस्वीरें लीं और धरती पर भी भेजीं ? माना कि कुंभ को आप अपनी उपलब्धियों में शुमार करते हैं मगर ऐसी क्या जरूरत आन पड़ी कि इसकी तस्दीक के लिए आपको सुनीता को भी अपने पाले में दिखाना पड़ा ? वैसे अंतरिक्ष से धरती की तस्वीरें तो दशकों से ली ही जाती रही हैं मगर हिंदू , हिंदुत्व और अपने बखान की चाह में इस अंतरिक्ष यात्री को भी केवल इस लिए इसमें जोड़ दिया जाना कि वह भारतीय मूल की है, हास्यास्पद नहीं लगता क्या ? चलिए माना सुनीता ने अंतरिक्ष से कुंभ को देखा होगा । हो सकता है कि उसकी तस्वीर भी ली हो । मगर इस दौरान उसने अंतरिक्ष से झांक कर धरती पर और क्या क्या देखा होगा ? यकीनन अंतरिक्ष में उसके जाने और वापिस आने तक इस धरती पर बहुत कुछ तो बदल ही गया है । आज विज्ञान ने अनेक कदम आगे बढ़ा लिए हैं और अंतरिक्ष में सुनीता को धरती की यह सब खबरें मिलती ही रहती होंगी । यदि भारत के प्रति उनका लगाव है, जैसा कि दावा किया जाता है तो भारत के बारे में क्या क्या खबरें उन्हें वहां मिली होंगी ? केवल कुंभ की भीड़ देख कर ही वह संतुष्ट हो गई होंगी अथवा बाकी खबरों के बारे में भी उन्होंने कुछ मनन किया होगा ?
सुनीता जब पिछले साल 5 जून को अंतरिक्ष के लिए रवाना हुईं थीं और अब जब 19 मार्च वापिस लौटी हैं तो उन्होंने पाया होगा कि इस दौरान मानवता ने कई बड़ी बड़ी छलांग लगा ली हैं । सबसे बड़ी बात तो यह कि इंसान ने कैंसर जैसी उस शैतानी बीमारी की वैक्सीन बना ली है जो हर साल करोड़ों लोगों की जान लेती है। इस दौरान इंसान ने समुंद्र की गहराइयों में नए नए जीवों की खोज कर ली है और उनमें वह मछली भी शामिल है जो बिना ऑक्सीजन के जिंदा रहती है । एक ऐसी मशीन भी बना ली गई है जो दस मिनट में इंसान के शरीर की सभी बीमारियों का पता लगा लेती है। इस दौरान बिना चालक के सड़क पर कार के दौड़ने का आखिरी परीक्षण भी सफलता पूर्वक संपन्न हो गया है । क्वांटम कम्प्यूटिंग और हरित ऊर्जा के क्षेत्र में कई नए अविष्कार हो गए हैं । पहली बात इंसान ने बिजली को किसी पदार्थ की तरह जमा करने की तकनीक भी विकसित कर ली। चीन में अपने मरे कुत्ते के जीन से एक महिला ने उसका क्लोन बनवा कर अपने कुत्ते को जैसे जिंदा कर लिया है । इस दौरान चीन ने डीपसीक तो एलन मस्क ने ग्राेक जैसा एआई टूल बना लिया है जो हर सवाल का जवाब चुटकियों में दे देता है। गोया कि पर्यावरण, जैव विविधता, तकनीक और स्वास्थ्य जैसे हर क्षेत्र में महत्वपूर्ण काम हुआ है । उधर, भारत में हुए कामों पर सुनीता ने जब निगाह डाली होगी तो अनुमान लगाएं कि उसे क्या दिखा होगा ? नेताओं के अहंकार की तुष्टि के चलते कुंभ जैसे मेले की भगदड़ में मरते लोग , ज्ञापवापी मस्जिद का विवाद, सम्भल में शाही मस्जिद के विवाद में हुआ दंगा, औरंगजेब और उसकी मजार को लेकर होते फसाद समेत इस दौरान मुल्क में हुए 841 दंगे ? अफसरों और जजों के घरों से बोरियों में भरे नोट, अमेरिका की घुड़की पर मिमियाते नेता, पड़ोसी देशों की अकड़ और हर ओर जाति और धर्म का कोहराम ? क्या इस दौरान भारत में कोई ऐसी खोज हुई जिसकी दुनिया में चर्चा हुई हो ? क्या कोई ऐसा आविष्कार हुआ जिससे इंसानी जीवन में कुछ नई आसानियां पैदा हुई हों, क्या कुछ ऐसा हुआ जिससे सुनीता को उस बात पर गर्व हुआ हो कि उसके पुरखे भारतीय थे ? अपनी अंतरिक्ष यात्रा के दौरान 4576 बार धरती की परिक्रमा करते हुए सुनीता का स्पेस स्टेशन जब जब धरती पर भारत के ऊपर से गुजरा होगा, तब तक उसके चेहरे पर गर्वीली मुस्कान आई हो, क्या इस दौरान ऐसा कुछ हुआ ? बेशक मैं इस खबर पर यकीन करने को तैयार हूं कि सुनीता विलियम्स ने अंतरिक्ष से कुंभ को देखा होगा । कुंभ की तस्वीरें खींचने पर भी मुझे कोई शक शुबा नहीं मगर इस बात पर संदेह का अधिकार मैं सुरक्षित रखना चाहूंगा कि कीड़े मकौड़ों की तरह मरती कुचलती भीड़ को देखकर सुनीता को गर्व जैसी कोई अनुभूति हुई होगी ।