इनका वाली वारिस कौन

रवि अरोड़ा
यकीनन आपके फोन पर भी ऐसे वीडियो आजकल खूब आ रहे होंगे कि शादी ब्याह जैसे किसी खुशी के अवसर पर नाचते नाचते आदमी का हार्ट फेल हो गया और मौके पर ही उसकी मौत हो गई। पहले पहल तो मैं यही समझता था कि चूंकि आजकल सबके हाथ में फोन है और हर छोटी बड़ी बात पर वीडियो बनाने का चलन भी है अतः इस तरह की मौतों के वीडियो बढ़ने का कारण यह चलन ही होगा । मगर फिर शुबाह होने लगा कि सोशल मीडिया और स्मार्ट फोन को आए तो अरसा हो गया, अब ही ऐसे वीडियो क्यों बढ़े हैं ? कहीं यह भी कोरोना के बाद का कोई असर तो नहीं ? जिनकी मौतें हुईं, उन्हें कोरोना ने अपनी चपेट में लिया था अथवा, ऐसी कोई जानकारी भी तो नहीं है। न तो इस आशय का कोई देश व्यापी सर्वे हुआ है और न ही अभी तक इसकी जरूरत महसूस की गई है । मगर कोरोना के बाद ही ऐसे मामले क्यों बढ़े हैं क्या इसका अध्ययन नहीं होना चाहिए ?

सुनते आए हैं कि हम भारतीय हृदय रोग के मामले में पश्चिमी देशों के मुकाबले अधिक संवेदनशील हैं। शायद यही कारण है कि हमारे यहां मृत्यु का 26 फ़ीसदी कारण हृदय रोग ही होता है। आश्चर्य जनक रूप से 85 फ़ीसदी पुरूष ही इसके शिकार होते हैं और ह्रदय रोग से स्त्रियां कमोवेश बची रहती हैं। इंडियन हार्ट एसोसिएशन मानता है कि मोटापा, ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, तनाव, कोलेस्ट्रॉल और प्रदूषण इसकी मुख्य वजहों में शुमार हैं। शराब, सिगरेट और खान पान की बुरी आदतों को भी खलनायक के रूप में चिन्हित किया गया है। मगर हम भारतीयों की ऐसी आदतें तो पहले से ही थीं, फिर अचानक ऐसा क्या हुआ कि नाचते-गाते, वर्जिश करते अथवा यूं ही खड़े खड़े लोग गिर कर मरने लगे ? आम आदमी ही नहीं, कई जानी मानी हस्तियां भी इसकी शिकार हुईं हैं। राजू श्रीवास्तव और सिद्धार्थ शुक्ला जैसे कई नामी गिरामी लोग इस फेहरिस्त में शामिल हैं। उधर, तमाम सर्वे बता रहे हैं कि विगत तीन सालों में भारत में हार्ट फेल होने के मामले बीस फीसदी बढ़े हैं। इस तरह हुई अचानक मौत के शिकार अधिकांशतः 18 से 49 साल की उम्र के पुरूष थे। एक अन्य सर्वे बताता है कि हम भारतीयों की सेहत यूं भी कोई बहुत अच्छी नहीं है और 48 फीसदी लोगों को कोई न कोई बीमारी है। सर्वे के मुताबिक 17 फीसदी लोगों का कोलेस्ट्रॉल बढ़ा हुआ है और 9 फ़ीसदी डायबिटीज के शिकार हैं। बाकी लिवर, किडनी जैसी अन्य समस्याओं से घिरे हैं।

बेशक ह्रदयघात और कोरोना का कनेक्शन अभी तक साबित नहीं हुआ है मगर पूरी दुनिया में इसकी आशंका तो लगातर व्यक्त की ही जा रही है। यूं भी कोरोना की चपेट में आए हुए लोगों का स्वास्थ्य अब पहले जैसा नहीं रहा और तमाम तरह की शारीरिक परेशानियों से वे जूझ रहे हैं । अमेरिका में सिएटल की यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन तो कोरोना और हार्ट फेलियर के कनेक्शन पर बेहद गंभीरता से अध्ययन भी कर रही है। अमेरिका में साल 2020 में 44 हजार लोग ह्रदय घात से मरे तो 2021 में 66 हजार । पश्चिम के कुछ अन्य देश भी इस दिशा में सर्वे कर रहे हैं। सवाल यह है कि ऐसे में भारत क्या कर रहा है ? क्या भारत में भी कुछ गंभीर प्रयास नहीं किया जाना चाहिए ? ऐसे में जब पूरी दुनिया के एक चौथाई हृदय रोगी भारतीय ही हैं, मामले को गंभीर नहीं बनाता ? क्या स्वास्थ्य मंत्रालय को इस विषय की गंभीरता का जरा भी अंदाजा नहीं है अथवा इसे भी वह कोराेना महामारी की तरह हवा हवाई दावों से ही निपटना चाहता है ? खड़े खड़े गिर कर मर रहे इन लोगों का क्या इस देश में कोई वाली वारिस नहीं है ?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

RELATED POST

जो न हो सो कम

रवि अरोड़ाराजनीति में प्रहसन का दौर है। अपने मुल्क में ही नहीं पड़ोसी मुल्क में भी यही आलम है ।…

निठारी कांड का शर्मनाक अंत

रवि अरोड़ा29 दिसंबर 2006 की सुबह ग्यारह बजे मैं हिंदुस्तान अखबार के कार्यालय में अपने संवाददाताओं की नियमित बैठक ले…

भूखे पेट ही होगा भजन

रवि अरोड़ालीजिए अब आपकी झोली में एक और तीर्थ स्थान आ गया है। पिथौरागढ़ के जोलिंग कोंग में मोदी जी…

गंगा में तैरते हुए सवाल

रवि अरोड़ासुबह का वक्त था और मैं परिजनों समेत प्रयाग राज संगम पर एक बोट में सवार था । आसपास…