आओ लाइक-डिस्लाइक खेलें
रवि अरोड़ा
लीजिये एक और नये खेल की बिसात बिछ गई है । जी हाँ यह खेल है यूट्यूब पर पोस्ट को लाइक अथवा डिस्लाइक करने का । इस मोर्चे पर भी कभी खेलना पड़ेगा , यह तो नेताओं ने कभी सोचा भी न था । बात शुरू हुई है इसी इतवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम मन की बात से । साल 2014 में पहली बार प्रधान मंत्री बनने के साथ ही मोदी जी ने सीधे जनता से संवाद को अपना यह कार्यक्रम शुरू किया था और अब तक सत्तर बार वे अपने मन की बात लोगों से कर चुके हैं । शुरू शुरू में उनका यह कार्यक्रम बहुत लोकप्रिय भी हुआ । उनकी पार्टी भाजपा ने भी गली गली चौपाल सज़ा कर लोगों को यह कार्यक्रम देखने सुनने के लिए प्रेरित किया मगर रिश्तों का हनीमून पीरियड जल्द ही ख़त्म भी हो गया और अब इस कार्यक्रम को कोई भी नहीं देखता-सुनता । आख़िरी एपिसोड में तो हद ही हो गई । इस कार्यक्रम को यूट्यूब पर जितने लोगों ने लाइक किया उससे दस गुना अधिक लोगों ने डिस्लाइक किया । यह ख़बर एकाध टीवी चैनल, अख़बारों और सोशल मीडिया पर ख़ूब चटकारे के साथ परोसी गई और इससे हड़कम्प मच गया । भाजपा के आईटी सेल ने तुरंत सफ़ाई दी कि यह सब कांग्रेस का किया धरा है । जवाबी कार्रवाई में यह ख़बर भी मीडिया में उछलवाई गई कि इस कार्यक्रम को इतने लाख लोग देखते हैं और इस एपिसोड को नीट-जेईई की परीक्षा को लेकर छात्रों के असंतोष के चलते भी जानबूझकर दुष्प्रचारित किया गया ।
प्रधानमंत्री का कार्यक्रम मन की बात रेडियो और टीवी के साथ साथ भाजपा, स्वयं मोदी जी, प्रधानमंत्री कार्यालय और पीआईबी के यूट्यूब चैनल पर भी प्रसारित किया जाता है । यह पंक्तियाँ लिखे जाने तक सभी यूट्यूब चैनल पर यही स्थिति थी कि प्रधान मंत्री के कार्यक्रम को जितने लोगों ने पसंद किया उससे कहीं अधिक लोगों ने नापसंद किया था । मोदी जी ने आज प्रोबेशन आईपीएस अधिकारियों को सम्बोधित किया और उस कार्यक्रम को भी यूट्यूब पर तेज़ी से नापसंद किया जा रहा है । नापसंद करने वालों की संख्या पसंद करने वालों के मुक़ाबले ढाई गुना अधिक है । मन की बात कार्यक्रम को नापसंद किये जाने का कारण तो भाजपा ने छात्रों का असंतोष बताया था मगर आईपीएस अधिकारियों के कार्यक्रम से लोगों की क्या नाराज़गी हो सकती है ? यही नहीं भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा के वीडियो पर भी लाइक़ से कहीं अधिक डिस्लाइक आये हैं । घबराये तंत्र ने पीएमओ के यूट्यूब चैनल पर कमेंट और लाइक डिस्लाइक करने का ओप्शन ही अब हटा दिया है । वहाँ अब केवल इतना पता चलता है कि यह कार्यक्रम अब तक कितने लोगों ने देखा है ।
मोदी जी के निजी यूट्यूब चैनल के 76 लाख सब्सक्राइबर हैं और उनके 12 हज़ार वीडियो इसमें पड़े हैं । हाल ही के महीनों का ट्रेंड देखें तो पता चलता है कि यूट्यूब पर उनके कार्यक्रम केवल चंद हज़ार लोग ही अब देखते हैं और लगभग हर कार्यक्रम को लाइक़ करने वालों से अधिक डिस्लाइक करने वालों की संख्या अधिक होती है । यह ट्रेंड उन तमाम चैनल्स का भी है जहाँ मोदी जी के वीडियो डाले जाते हैं । ज़ाहिर है की यह सब कोरोना और आर्थिक मोर्चे पर मोदी जी की सरकार की नाकामियों का ही नतीजा है । मगर वह सरकार ही क्या जो अपनी ग़लती मान ले और वह नेता ही क्या ख़ुद को नाकाबिल स्वीकार कर ले । नतीजा अब भूल सुधार की बजाय उन मोर्चों पर काम हो रहा है जहाँ से ग़लतियाँ और भूलें दिखाई पड़ती हैं । एक दौर था जब आम कार्यकर्ताओं को दरियाँ बिछाने के काम पर लगाया जाता था मगर अब तो पोस्ट को लाइक़ और डिस्लाइक करने का ज़माना आ गया है । यही वजह है कि सभी पार्टियाँ का अब अपने कार्यकर्ताओं को इसी काम पर लगाना मजबूरी हो चला है । यक़ीनन इसकी शुरुआत भाजपा से ही होनी है क्योंकि सर्वाधिक गालियाँ भी तो उसी के नेताओं को पड़ रही हैं ।