आइए निंदा करें

रवि अरोड़ा

लगता है कि दीवाना हो गया हूँ । दो दिन से टीवी के आगे बैठा हूँ । पता नहीं क्यों उन बीस पाकिस्तानी फ़ौजियों के कटे सिर टीवी वाले दिखा नहीं रहे जो हमारी विदेश मंत्री सुषमा स्वराज सीमा से दिल्ली लाई हैं । प्रधानमंत्री को किस रंग की चूड़ियाँ भाजपा वालों ने भेंट कीं, यह भी कोई चैनल वाला नहीं बता रहा । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान की ईंट से ईंट बजाई यह ख़बर भी कहीं गुम है । सर्जीकल स्ट्राइक का श्रेय लेने वालों ने जवानो के अंगभंग किए जाने की भी ज़िम्मेदारी ली , यह ख़बर भी गोल है । शहीदों के नाम पर अपनी दुकाने चलाने वालो की भी कोई ख़बर किसी अख़बार में नहीं दिख रही । पता नहीं क्या हो गया है इन ख़बरनवीसो को ? जिसे देखो वही पुरानी ख़बरें सुना रहा है । फ़लाँ फ़लाँ ने हादसे की निंदा की । फ़लाँ फ़लाँ ने कहा कि जवानो का बलिदान बेकार नहीं जाएगा । फ़लाँ फ़लाँ मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान को करारा जवाब देंगे । अरे ! कहीं ग़लती से पुराने टेप तो नहीं चला रहे ये टीवी वाले ? यह ख़बर तो साल में कई बार आती है । अब तो कोई बच्चा भी इस रटी रटाई ख़बर को सुना सकता है । निंदा , बलिदान, करारा जवाब और बस । आख़िर कौन है इन सरकारों का डायलॉग राइटर , जो पचासो साल से एक ही पहाड़ा सुनाता है ? कमबख़्त एक शब्द भी नहीं बदलता ?

अच्छा , अब समझा । विदेश मंत्री सुषमा स्वराज बीमार हैं तब ही चुप हैं । वरना पाकिस्तान द्वारा हमारे सैनिकों के सिर काट कर ले जाने वालों के दस बीस सिर अब तक आ गए होते । प्रधानमंत्री मोदी भी मनमोहन सिंह की तरह मोनी बाबा हो गए हैं वरना अब तक पाकिस्तान से ज़बानी जमाखर्ची तो कर ही लेते । एसा हुआ ही क्या है कि कांग्रेस राज में लांसनायक हेमराज का सिर काटे जाने पर तूफ़ान उठाने वाले अपने तीन साल के कार्यकाल में एसी तीन वारदातें होने पर जो चुप रहते ? सयाने ठीक ही तो कहते हैं। एसे ही तो सरकारें चलती हैं । रवायत भी तो कोई चीज़ है । कांग्रेस की तरह साठ साल सत्ता में रहना है तो उसी के चरणचिन्हों पर ही तो चलना होगा । कारगिल युद्ध के बाद छह बार पाकिस्तानियों ने हमारे जवानो के शवो की दुर्गति की, यह कोई पहली घटना थोड़ी ही है, जो बावले हो जायें । जवान भी पहली बार कब शहीद हो रहे हैं । यह तो हर साल होते हैं । नक्सलियों के हाथों जान गँवाए अथवा कश्मीरी आतंकवादियों या फिर पाकिस्तानियों के हाथों , क्या फ़र्क़ पड़ता है ? जान तो घर में भी जा सकती है । जनता बेवक़ूफ़ है जो जवानो की बात करती है । तीन तलाक़ , गाय और मंदिर असली मुद्दा है । ज़रा देखो अभी कितने राज्य बाक़ी हैं जहाँ सरकार बनानी है । कृपया ध्यान ना भटकाइए । लकीर पर चलने दीजिए । ग़ौर से देखिए । कांग्रेस कहती थी हम निंदा करते हैं । हमने कहा कि हम कड़ी निंदा करते हैं । कांग्रेस कहती थी हम जवाब देंगे और हमने कहा कि करारा जवाब देंगे । अब क्या चाहिए ? ध्यान ना भटकाइए और हमारी तरह चुपचाप निंदा कीजिए । इसी में हम सब का कल्याण है ।

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