गुमशुदगी
मेरी चीज़ें
अक्सर
हो जाती हैं गुम
ना जाने
कौन चुरा ले जाता है
उन्हें
हासिल करने तक
वे रहती हैं
हरदम मेरे साथ
मगर
मेरी होते ही
वो हो जाती हैं
गुम
बचपन से लेकर आजतक
यही खेल होता है
मेरे साथ
एक अदद कार के लिए
मरा जा रहा था मैं
अब जब से वह आई है ,
ग़ायब हो गई है
पहले
सोते जागते
हमेशा कार ही दिखती थी
मुझे
हर आतीं जातीं कार में
मैं तलाशता था
अपनी वाली
अब वह घर में खड़ी है
मगर
मुझे दिखती नहीं
ना जाने कहाँ ग़ायब हो गई
एसा ही तो हुआ था
मेरे मकान के साथ
जब तक ख़रीदा नहीं गया
वह मेरे साथ था
अब मैं उसने रहता हूँ
मगर वह कहीं गुम है
ना जाने कौन ले गया उसे
हद है
जिसे चाहो
वही अपना
जिसे पाओ
वह गुम
चलो अच्छा हुआ
जो नहीं हुई तुमसे शादी
वरना तुम भी हो जातीं
कहीं गुम
या फिर हो जातीं
चोरी