भाजपा का नया पैतराः एंटी इन्कम्बेंसी से निबटने के लिए सेलिब्रिटीज का सहारा

रवि अरोड़ा

नई दिल्ली। भाजपा के पास अपनी सरकार की उपलब्धि गिनाने के नाम पर ज्यादा कुछ तो है नहीं और इस वजह से सत्ता विरोधी लहर से वह परेशान है, इसलिए वह विभिन्न क्षेत्रों की ऐसी सेलिब्रिटीज पर दांव लगाने की तैयारी में है जो समय-समय पर उसके प्रति किसी-न-किसी वजह से समर्थन जताते रहे हैं। इस योजना के बारे में पार्टी में किसी स्तर का कोई पदाधिकारी आधिकारिक तौर पर बोल तो नहीं रहा लेकिन तैयारियों की बात छिपी भी नहीं है।

इस तरह की तैयारी की वजह है। भाजपा और संघ के अपने सर्वेक्षणों में परफाॅर्मेंस के कारण कई पार्टी सांसदों के चुनाव नहीं जीतने की बातें सामने आई हैं और इन ’कमजोर’ सांसदों पर दांव लगाने का कोई मतलब नहीं है। इसलिए इनमें से कई लोगों को संकेत दिए भी जा चुके हैं कि उनके विकल्प की तलाश की जा रही है। इनमें से कुछ लोग अन्य पार्टियों में रास्ता तलाश रहे हैं जबकि अधिकांश को समझाया जा रहा है कि उनके राजनीतिक जीवन का आगे किसी-न-किसी तरह खयाल रखा जाएगा। सर्वेक्षण से यह भी साफ है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कथित जादू अब काम का नहीं रहा

जो वैकल्पिक सूची तैयारी की गई है, उनमें अधिकतर सेलिब्रिटीज हैं। वैसे तो 2014 में भी यह प्रयोग किया गया गया था लेकिन तब संख्या कम थी। इस बार की सूची में फिल्मी कलाकार, खिलाड़ी, संगीतकार और कुछ बड़े कवि-लेखक शामिल हैं। इसमें फिल्म अभिनेता अक्षय कुमार, अनुपम खेर तथा सनी दयोल, क्रिकेटरों में कपिलदेव, सौरभ गांगुली, गौतम गंभीर और वीरेंद्र सहवाग, रचनाकारों में कुमार विश्वास और हरिओम् पवार तथा गायिकाओं में मालिनी अवस्थी शामिल हैं। पिछली बार की तरह हेमा मालिनी, किरण खेर, परेश रावल, स्मृति ईरानी को पुनः मैदान में उतारा जाएगा।

माना जा रहा है कि अक्षय कुमार को पंजाब की गुरदासपुर सीट से लड़ाने के लिए तैयार किया जा रहा है। यहां से विनोद खन्ना पहले सांसद हुआ करते थे। 2017 में उनके निधन के बाद हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने यह सीट भाजपा से छीन ली थी। इसी तरह कपिलदेव को चंडीगढ़ अथवा पंजाब की किसी सीट से उतारने की योजना बन रही है। गौतम गंभीर के लिए दिल्ली की कोई सीट तय करने पर विचार हो रहा है। अभी दिल्ली की सभी सात सीटें भाजपा के पास हैं। सनी देओल को पश्चिमी उत्तर प्रदेश की कोई जाट बहुल सीट से चुनाव लड़ने के लिए सहमति देने के संकेत दिए गए हैं। इसी तरह कवि हरिओम् पंवार को मेरठ के आसपास से उतारे जाने पर विचार चल रहा है। पिछली बार बाबा रामदेव के मार्फत उनका टिकट लगभग पक्का हो गया था, मगर बाद में बाबा ने बाबुल सुप्रियो की पैरोकारी शुरू कर दी और ऐन वक्त पर पंवार का टिकट कट गया।

कुमार विश्वास पर भी भाजपा दांव लगाने को इच्छुक है। विश्वास समय-समय पर कहते रहे हैं कि वह भाजपा में नहीं जाएंगे लेकिन भाजपा के नेता और विश्वास के करीबी लोग मानते हैं कि विश्वास के दिल में भाजपा के लिए साॅफ्ट काॅर्नर है। विश्वास को यह भी समझाने की कोशिश हुई है कि चुनाव हारने की दशा में भी स्मृति ईरानी की तर्ज पर अगली कैबिनेट में उनका स्थान सुरक्षित रहेगा। लेकिन खुद विश्वास भी मुतमईन नहीं हैं कि अगली सरकार भाजपा की बनेगी ही।

सूत्रों का यह भी दावा है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल के पुत्र शौर्य डोभाल को उत्तराखंड से लड़ाने की योजना है। डोभाल के लोग एनजीओ के जरिये इस दिशा में पिछले काफी समय से सक्रिय हैं। असम में संस्कृति के क्षेत्र में बड़े नाम भूपेन हजारिका के बेटे तेज हजारिका को राज्य में कहीं से प्रत्याशी बनाने के संकेत दिए गए हैं। भारत रत्न पर उनके पहले हाॅट, फिर कोल्ड बयान के पीछे यह भी कारण माना जा रहा है।

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