2020 जा जा जा
रवि अरोड़ा
फ़िल्म वाले गाना गाते हैं- कबूतर जा जा जा कबूतर जा जा जा । स्कूली बच्चे कविता दोहराते हैं- रेन रेन गो अवे कम अगेन अनदर डे लिटिल जोनी वांट्स टू प्ले । आइये हम भी साल दो हज़ार बीस के लिये कुछ एसा ही कहें-सुनें । अजी कुछ तो एसा हो कि यह साल जल्द से जल्द ख़त्म हो । मगर बुरे वक़्त में समय की गति भी न जाने क्यों धीरे हो जाती है । अभी तो अल्लाह अल्लाह करते बामुश्किल छः महीने ही बीते हैं । पता नहीं बाक़ी के छः महीने कैसे बीतेंगे । इस साल कुछ अच्छा भी होगा , एसी उम्मीद अब धूमिल ही होती जा रही है । बड़ा शौक़ था टवंटी टवंटी देखने का । सुनने में भी यह शब्द राइम यानी कवितात्मक सा लग रहा था मगर इसने तो जैसे जीवन के सारे रस ही छीन लिये ।
सुबह सुबह समाचार मिला कि टिड्डी दल ने गुड़गाँव में धावा बोल दिया है । यह टिड्डी दल इतना विशाल है कि दस किलोमीटर लम्बाई और छः किलोमीटर चौड़ाई में फैला हुआ है । अनुमान है कि इसमें कम से कम साठ लाख टिड्डियाँ होंगी । यह टिड्डियाँ कब कहाँ रूख करेंगी कहा नहीं जा सकता मगर जिस दिशा में यह बढ़ रही हैं उसके हिसाब से इनका अगला टार्गेट फ़रीदाबाद और फिर नोयडा होगा । उसके बाद ये ग़ाज़ियाबाद आएँगी या नोयडा से बुलंदशहर की ओर मुड़ जाएँगी , अभी कहा नहीं जा सकता । जहाँ भी ये जाएँगी तबाही ही मचाएँगी और पहले से ही दुःखी किसान को और बर्बाद करेंगी । पता नहीं इन टिड्डियों ने भी यही समय क्यों चुना क़हर बरपाने के लिये ?
दो दिन पहले आसमानी बिजली गिरने से सवा सौ लोगों के मरने का समाचार अख़बारों में था । बेशक कोई बड़ी दुर्घटना नहीं हुई मगर हर हफ़्ते भूकम्प के झटके भी लग रहे हैं । आशंका जताई जा रही है कि कोई बड़ा भूकम्प भी आ सकता है । बंगाल और उड़ीसा में चक्रवात अभी कुछ दिन पहले तबाही मचा कर गुज़रा है । उधर, एसा पहली बार ही लग रहा है कि देश चहुँओर से घिर गया है । तमाम प्रयासों के बावजूद सीमा पर चीन अपनी विस्तारवादी हरकतों से बाज़ नहीं आ रहा । भारत का रूख भी कड़ा है । अनुभवी लोग युद्द की आशंका जता रहे हैं । यदि एसा हुआ तो नीली छतरी वाला ही जानता है कि कितनी तबाही होगी ? पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज़ नहीं आ रहा और रोज़ाना बोर्डर पर बमबारी कर रहा है । धारा 370 हटने और राज्य के पुनर्गठन के बाद कश्मीर में शांति की उम्मीद थी मगर रोज़ाना ही आतंकियों से मुठभेड़ वहाँ हो रही है । नेपाल जैसा पिद्दी देश भी अपने नक़्शे में भारत के इलाक़े को दर्शा कर आँख दिखा रहा है । सुना है कि हमारे रहमो करम पर रहने वाले भूटान ने भी हमारा पानी रोक लिया है ।
कोरोना का तो कुछ पूछिये ही मत । दुनिया भर में इसके मरीज़ एक करोड़ होने को हैं तो भारत में भी यह पाँच लाख को पार कर गए हैं । कुल मरीज़ों के मामले में हम चौथे नम्बर पर हैं और आशंका व्यक्त की जा रही है कि जल्दी ही रशिया को पीछे छोड़ कर हम तीसरे नम्बर पर पहुँच जाएँगे । कोरोना से मृत्यु के मामले में हम आठवें स्थान पर हैं और नये मरीज़ मिलने के मामले में भी हम केवल दो देशों से पीछे हैं । हमें उम्मीद थी कि लाकडाउन लगा कर हम कोरोना पर क़ाबू पा लेंगे मगर स्वयं लाकडाउन ही भयानक त्रासदी बन गया । करोड़ों मज़दूर भूखे-प्यासे पैदल अपने घरों की ओर चल दिये और लगभग वही हालात सड़कों पर दिखने लगे जो बँटवारे के समय बन गये थे । करोड़ों लोगों की नौकरी छूट गई और करोड़ों का व्यवसाय चौपट हो गया । मुल्क का आर्थिक भूगोल एसा बिगड़ा है कि पता नहीं कितने सालों में जाकर स्थितियाँ ठीक होंगी । अब आप ही बताइये एसे मनहूस साल को भला कौन पसंद करेगा और नहीं चाहेगा कि यह साल जल्दी ख़त्म हो जाये मगर हमारे चाहने से भला क्या होगा ? हम तो बस यही कामना कर सकते हैं कि 2020 जा जा जा ।