हिलती हुई बहू माने राहुल गांधी

रवि अरोड़ा
पंजाबी की कहावत है कि आटा गुनदी हिल्दी क्यों हैं यानि आटा गूंथते समय हिलती क्यों है। बहू में अवगुण ढूंढने की सासों की यह महारत हमारे ही जिले में एक बार फिर देखने को मिली जब भारत जोड़ो यात्रा के उत्तर प्रदेश में स्वागत कार्यक्रम में बहन प्रियंका को राहुल गांधी ने निश्छल भाव से दुलारा। राहुल ने मंच पर साथ बैठी अपनी बहन के कान में कुछ कहते हुए कभी उसे सिर पर चूमा, कभी गाल पर और कभी उसके बाल प्यार से ऐसे सहलाए जैसे कोई बड़ा अपने छोटे बच्चे के साथ करता है । भाई बहन के इस अनूठे प्यार का वीडियो जब सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो लोगों ने उसे हाथों हाथ लिया। कोई कह रहा था कि भाई बहन का प्यार हो तो ऐसा तो कोई कह रहा था कि भाई बहन का प्यार यूं ही बना रहे । मगर हर बात में कीड़े निकालने वाले यहां भी बाज नहीं आए और भारतीय संस्कृति की दुहाई दे कर राहुल को ट्रोल करने लगे । पता नहीं ये लोग किस संस्कृति की बात कर रहे हैं ? क्या पाखण्ड को ही संस्कृति कहा जाता है अब ?
वैसे स्त्रियों के सम्मान की जिस संस्कृति का रोना कुछ लोग रो रहे हैं क्या यह वही है जिसमें अंग्रेजों के आगमन से पहले पति की मृत्यु के पश्चात उसकी विधवा को भी उसी चिता में जला दिया जाता था और फिर उसे सती कहकर महिमा मंडित किया जाता था ? वही संस्कृति जिसमें ऑनर किलिंग, दहेज के लिए हत्या और पिता की संपत्ति में से बेटी को फूटी कौड़ी भी न देने से मूंछ ऊंची होती है ? विदाई के समय बेटी से यह कहना कि जिस घर में डोली जाए, उसी घर से तेरी अर्थी उठे, क्या ये है वह संस्कृति ? बलात्कार के मामले में दुनिया की राजधानी हमारे मुल्क में जहां दस में से आठ कुकर्मी परिवार के ही लोग होते हैं, उसे हम संस्कृति मानें ? लड़कों को अच्छी शिक्षा और लड़कियों को चौका बर्तन, बेटों को दूध मलाई और बेटियों को रूखा सूखा , यह है वह महान संस्कृति जिसकी दुहाई दी जा रही है ? बिना तलाक के पत्नी को छोड़ देना क्या संस्कृति है और बहन को गले लगाना अपसंस्कृति ?
राहुल गांधी को कोई पसंद करे अथवा नापसंद, यह अलग बात है मगर राहुल गांधी जैसा सरल और सहज नेता क्या भारतीय राजनीति में दूसरा ढूंढा जा सकता है ? राहुल की सरलता ही है कि वे सार्वजनिक रूप से भी बालमना हो जाते हैं और कोई पाखंड अथवा आडंबर न कर आम इंसान की तरह व्यवहार करने लगते हैं। शायद विदेशों में हुई उनकी शिक्षा दीक्षा ही उन्हें इसके लिए प्रेरित करती हो। वही विदेशी शिक्षा जिसके लिए हम सभी भारतीय मरे जा रहे हैं और हर कोई चाहता है कि उसके बच्चे ऐसे ही अंग्रेजी स्कूलों में पढ़ें। क्या यह संभव है कि बच्चा पढ़े तो अंग्रेजी स्कूल में और व्यवहार करे गुरुकुल के छात्र जैसा ? राहुल ने सार्वजनिक रूप से अपनी बहन से जिस तरह से लाड़ लड़ाया वैसा अब भारतीय परिवारों में आम है। हर पढ़े लिखे घर में बहन भाई किसी जेंडर कॉम्प्लेक्स के बिना एक दूसरे से वैसे ही गलबहियां करते हैं जैसी राहुल ने लोनी में अपनी बहन से की मगर हाय री ये सासें, इन्हें तो गूंथा जा रहा आटा नही वरन हिलती हुई बहू ही दिखती है बस ।

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