हिप्पोक्रेसी

रवि अरोड़ा

महिलाओं से जुड़ी एक साथ तीन ख़बरें आईं । इन ख़बरों की रौशनी में अब मैं अपने इर्द गिर्द की दुनिया को समझने की कोशिश कर रहा हूँ । पहली ख़बर यह है कि सऊदी अरब ने अपने मुल्क की औरतों को वाहन चलाने की अनुमति दे दी है । सऊदी अरब दुनिया का इकलौता देश था जहाँ इस क़िस्म का वाहियात प्रतिबंध पिछले साठ सालों से था । प्रतिबंध हटते ही सऊदी की हज़ारों महिलाओं ने नई मिली इस आज़ादी का जम के लुत्फ़ उठाया । दूसरी ख़बर भी मुस्लिम जगत से आई और वह यह कि ईरान ने स्टेडियम में बैठ कर फ़ुटबाल मैच देखने की इजाज़त महिलाओं को दे दी है और तेहरान के स्टेडियम में हज़ारों महिलायें मैच देखने पूरे उत्साह से जा पहुँचीं ।वर्ष 1979 की कथित इस्लामिक क्रांति के बाद से यह प्रतिबंध ईरान में था। तीसरी और बुरी ख़बर हमारे अपने देश से जुड़ी है और इस ख़बर के मुताबिक़ महिलाओं के लिए भारत दुनिया का सबसे असुरक्षित देश चिन्हित किया गया है ।

थामसन-राइटर्स फ़ाउंडेशन द्वारा हाल ही में दुनिया भर में महिलाओं के लिए ख़तरनाक देशों की सूची बनाई गई और युद्धक परिस्थितियों से जूझ रहे अफगानिस्तान और सीरिया से भी अधिक भारत को महिलाओं के लिए असुरक्षित पाया गया। ख़ास बात यह कि औरतों के मामले में बदनाम पाकिस्तान, सोमालिया और सऊदी की स्थिति भी हमसे बेहतर पाई गई । इस संस्था ने वर्ष 2011 के अपने सर्वे में भी भारत को चार सर्वाधिक असुरक्षित देशों में शुमार किया था मगर इस बार तो नम्बर वन ही मान लिया । बताया गया कि 2007 से 2016 के बीच मुल्क में महिलाओं के प्रति अपराध में 83 फ़ीसदी वृद्धि हुई है और हर चार घंटे में यहाँ बलात्कार की एक रिपोर्ट हो रही है । हालाँकि राष्ट्रीय महिला आयोग ने इस रिपोर्ट को ख़ारिज कर दिया है मगर रिपोर्ट से दुनिया भर में देश की जो किरकिरी होनी थी वह तो हो ही गई है। एसे समय में जब महिला विरोधी माने जाने वाले मुस्लिम देश महिलाओं के हक़ के लिए आगे आ रहे हैं और वहीं यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः जैसी घोषणाओं वाले देश भारत का यह हाल चिंता तो पैदा करता ही है । आँकड़े चुग़ली करते हैं कि एसी संस्कृति जो महिलाओं को अपनी ‘ खेती ‘ मानती हो उससे जुड़े मुस्लिम मुल्कों में महिलाओं के प्रति अपराध पर एक से बढ़ कर एक कड़ा क़ानून है और वहाँ दशकों तक बलात्कार जैसी वारदातें नहीं होतीं और हमारे अपने देवी पूजा वाले मुल्क में देवियों की अस्मत तार तार की जा रही हैं । कन्या पूजन करने वाले लोग कन्याओं की अस्मत से खेलें तो सवाल उठना लाज़मी है । ख़ास बात यह कि सरकारों के आने जाने से इस दरिंदगी पर कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता यह सब उन सरकारों में भी मुसलसल हो रहा है जो नारी सम्मान के नाम पर ही कुर्सी तक पहुँची हैं ।

दिमाग़ पर बहुत ज़ोर डालने पर भी अपने समाज और देश के राजनीतिक दलों के चरित्र के लिए हिप्पोक्रेसी से बेहतर शब्द नहीं ढूँढ पा रहा था। फिर सोचा कि चलो इस शब्द का हिंदी अनुवाद ढूँढता हूँ । मगर ये क्या , अनुवाद में तो बनावटी , पाखडी, मिथ्याचरित्र वाला , ढोंगी , छल करने वाला और दम्भी जैसे तमाम शब्द मिल रहे हैं । अरे वाह हमारी हिंदी भाषा कितनी समृद्ध है । अंग्रेज़ केवल हिप्पोक्रेसी जैसे एक शब्द से ही काम चला रहे हैं और हमारे यहाँ उसका इतना विशाल वर्णन है । अब हो भी क्यों नहीं हमसे बड़ी हिप्पोक्रेसी भी तो किसी की नहीं हो सकती । ग़लत कहा क्या ?

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