वीके सिंह ने अपने लिए बो लिए काफ़ी काँटे
रवि अरोड़ा
फ़ौजियों की बाबत अंग्रेज़ी में कहावत है- डोंट शूट द मेसेंजर यानि सहयोगी को गोली मत मारो मगर 42 साल फ़ौज में रहे पूर्व थल सेना अध्यक्ष व विदेश राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह शायद यह सीख पूरी तरह भूल चुके हैं । यही कारण है कि अपने लोकसभा क्षेत्र ग़ाज़ियाबाद में वे अपने पार्टी संघटन व आम लोगों से ही पूरी तरह कट गए हैं । आलम यह है कि पार्टी के स्थानीय कार्यक्रमों में न तो उन्हें बुलाया जाता है और न ही अपने कार्यक्रमों में वे भाजपा के स्थानीय नेताओं को मंच पर बैठाते हैं । उधर, जनप्रतिनिधि बनने के बावजूद फ़ौजी तौर तरीक़े उन्हें आम नागरिकों के निकट भी नहीं आने दे रहे । इसी के चलते उनके कार्यालय व राजनगर स्थित घर पर किसी सामान्यजन की जाने की हिम्मत नहीं होती । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद देश में दूसरे स्थान पर सर्वाधिक मतों से जीतने के बावजूद जनरल वीके सिंह के घर व कार्यालय पर भीड़ तो दूर दिन भर में दो चार से अधिक शिकायतकर्ता भी नहीं पहुँचते । लोकसभा चुनाव सर पर हैं और इसी फ़ौजी माहौल के चलते जनरल वीके सिंह को कठोर परिस्थितियों यानि फ़ौज के शब्दों में कहें तो ‘बाइट द बुलेट‘ का सामना करना पड़ रहा है ।
रिकार्ड तोड़ 5 लाख 67 हज़ार मतों से जीत कर ग़ाज़ियाबाद के सांसद चुने जनरल वी के सिंह के ख़िलाफ़ क्षेत्र में भी नित नए रिकार्ड बन रहे हैं । लगातार ग्यारह महीने तक अपने क्षेत्र में न जाने का आरोप तो वे झेल ही रहे हैं और साथ ही विरोधियों को अपनी गुमशुदगी के पोस्टर लगवाने का अवसर भी दे चुके हैं । इसके अतिरिक्त अपने क्षेत्र की विधानसभाओं पार्टी विधायकों के मुक़ाबिल अपने प्रतिनिधि भी खड़े कर विधायकों की नाराज़गी मोल ले रहे हैं । कोढ़ में खाज़ की स्थिति यह है कि विवादित शख़्सियत एसपी सिंह अभी भी उनके पोलिटिकल अटेची बने हुए हैं । एसपी सिंह के ख़िलाफ़ मनी लोंड्रिंग , आय से अधिक सम्पत्ति रखने और बैंकों के तीस करोड़ न चुकाने जैसे कई मामले चल रहे हैं । सुरक्षा विभागों को सामान सप्लाई करने वाले इस ठेकेदार को दिल्ली पुलिस गिरफ़्तार कर चुकी है और रॉ को बाइस करोड़ रुपये के टेंट सप्लाई के करने के एक मामले में सीबीआई में भी उनकी जाँच चल रही है । स्वच्छ छवि वाले जनरल वीके सिंह के साथ मंचों पर एसपी सिंह की मौजूदगी और उनका क्षेत्र में उनका सारा कामकाज सिंह द्वारा ही देखे जाने का राज़ आजतक कोई नहीं जान सका है ।
भाजपा के प्रदेश संघटन से जुड़े एक नेता बताते हैं कि प्रदेश भाजपा मुख्यमंत्री बनाम संघटन मंत्री के खेमों में बँटी हुई है । ठाकुर होने के नाते जनरल साहब सजातीय मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी के खेमे के माने जाते हैं और यही कारण है कि प्रदेश संघटन मंत्री सुनील बंसल से उनका छत्तीस का आँकड़ा रहता है । ग़ाज़ियाबाद में संघटन से जुड़े तमाम नेताओं की रिपोर्टिंग चूँकि सुनील बंसल को ही है अतः जनरल वीके सिंह से सभी दूरी बना कर चलते हैं । महानगर अध्यक्ष मान सिंह गोस्वामी और जनरल साहब की अनबन पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच चर्चाओं में तो रहती ही है , वहीं क्षेत्रीय महामंत्री अशोक मोंगा भी सार्वजनिक रूप से वीके सिंह को कार्यकर्ताओं की उपेक्षा का दंश झेलने की चेतावनी दे चुके हैं । कार्यकर्ताओं से दूरी का ही परिणाम यह है कि हाल ही में उनकी मौजूदगी वाली नंदग्राम में कार्यकर्ताओं की एक बैठक में मात्र डेड सौ लोग ही पहुँचे जबकि बैठक में बाइस सौ कार्यकर्ताओं को आमंत्रित किया गया । धौलाना विधानसभा क्षेत्र में भी मात्र सौ कार्यकर्ता जुटे । वीके सिंह द्वारा लोनी में मीरपुर हिंदू और धौलाना में ककराना गाँव गोद लिए गए मगर उन गाँवों में भी नियमित रूप से नहीं जा सके । ककराना निवासी महेंद्र सिंह तोमर कहते हैं कि जनरल साहब में गाँव के तालाब की सफ़ाई और पाँच लाइटें लगवाने के अतिरिक्त और कुछ नहीं किया । वैसे सांसद प्रतिनिधि भानू शिशोदिया इसे राजनीति से प्रेरित आरोप बताते हैं । लोनी क्षेत्र में आवास विकास के ख़िलाफ़ किसान दो साल से धरने बैठे हैं मगर सांसद उनसे मिलने को भी तैयार नहीं । राजनगर स्थित उनकी कोठी से निराश लौटे जगदीश राय कहते हैं कि मंत्री जी की अपनी कोठी पर कब मिलेंगे यह कोई नहीं जानता । बक़ौल उनके वे वीके सिंह के घर कई चक्कर काट चुके हैं मगर मंत्री जी के आने-जाने के समय के बाबत वहाँ मौजूद स्टाफ़ को भी नहीं पता होता । हालाँकि जनरल वीके सिंह के कैम्प कार्यालय का कार्य देखने वाले पूर्व विधायक नरेंद्र सिंह शिशोदिया इसका खंडन करते हैं और दावा करते हैं कि सांसद जी ग़ैरमौजूदगी में वे स्वयं उनकी कोठी पर बैठते हैं लोगों की समस्याओं का निस्तारण कराते हैं । उधर, सूत्र बताते हैं कि जनता और कार्यकर्ताओं से वीके सिंह की दूरी से पार्टी नेतृत्व भी भलीभाँति परिचित है । आगामी लोकसभा चुनावों के मद्देनज़र क्षेत्रीय संघटन , संघ और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह द्वारा कराये गए सर्वे में भी इस दूरी की पुष्टि हुई है । सर्वे की ख़बर मिलते ही पार्टी के अनेक स्थानीय नेता भी सक्रिय हो गए हैं और पार्टी के पूर्व सांसद स्रमेश चंद्र तोमर के नेतृत्व में स्थानीय बनाम बाहरी का मुद्दा उछाल रहे हैं । पार्टी का एक अन्य गुट यह चर्चा भी चला रहा है कि पार्टी के मजबूर काडर व क्षेत्र की दिल्ली से नज़दीकी के कारण स्वयं नरेंद्र मोदी अगला चुनाव यहाँ से लड़ने के इच्छुक हैं और वीके सिंह की यहाँ से छुट्टी होगी । इस बाबत वीके सिंह का कहना कुछ और ही है । वे दावा करते हैं कि वे नियमित रूप से ग़ाज़ियाबाद जाते हैं और वहाँ के विकास का भी प्रयास करते हैं । बक़ौल उनके जब तक किसी के घर न जाओ तब तक वह यही कहता है कि मैं क्षेत्र में नहीं जाता । आंदोलनरत मंडोला के किसानों के बाबत उनका कहना है कि उन्हें गुमराह किया जा रहा और वे एसी माँगे भी कर रहे हैं जो वाजिब नहीं हैं । फिर भी उन्होंने मुख्यमंत्री से इस बाबत बात है मामले के समाधान का प्रयास कर रहे हैं ।