भगवा चोले की अस्मिता
रवि अरोड़ा
दीवार फ़िल्म में अमिताभ बच्चन द्वारा बोला गया यह डायलॉग तो आपको बख़ूबी याद होगा- जाओ पहले उस आदमी का साइन लेकर आओ जिसने मेरे बाप को चोर कहा था । जाओ पहले उस आदमी का साइन लेकर आओ जिसने मेरी माँ को गाली देकर नौकरी से निकाल दिया था । जाओ पहले उस आदमी का साइन लेकर आओ जिसने मेरे हाथ पर लिख दिया था कि मेरा बाप चोर है । अब आप पूछ सकते हैं कि आज इस डायलॉग की बात क्यों ? दरअसल बाबा रामदेव द्वारा कोरोना के शर्तिया इलाज के दावे की सरकार द्वारा हवा निकाल दिये जाने से उनके भक्त बौखला गये हैं और मुद्दे को आयुर्वेद बनाम एलोपैथी , हिंदू-मुस्लिम , भारतीय अस्मिता बनाम विदेशी दवा कम्पनियों की बहस का मोड़ देने का प्रयास कर रहे हैं । कोई पूछ रहा है कि मदर टेरेसा भी तो हाथ से छूकर कैंसर का इलाज करती थीं , उन्हें भारत रत्न क्यों दिया ? कोई कह रहा है कि अनेक मुस्लिम भी तो ताबीज़ और ग़ंडे से इलाज का दावा करते हैं , उन्हें कोई क्यों नहीं कुछ कहता ? कोई भक्त दावा करता है कि बड़ी बड़ी दवा कम्पनियों के इशारे पर भारतीय दवा के रास्ते में रुकावटें डाली जा रही हैं , पहले उनका विरोध होना चाहिये । बाबा के दावे पर सवाल करने वालों को लपेटने के लिये कुछ ख़ास संदेश हर मोबाइल फ़ोन पर भी भेजे जा रहे हैं । यक़ीनन यह काम भगवा आईटी सेल का ही हो सकता है मगर कमाल देखिये कि अपनी ही सरकार द्वारा लगाई गई रोक के लिये भी वे दूसरों को लपेट रहे हैं और कह रहे हैं कि फ़ेयर एंड लवली जैसी क्रीम के ख़िलाफ़ पहले बोलो फिर बाबा की बात करो ।
सर्वविदित है कि कोरोना के शर्तिया इलाज के बाबा राम देव के दावे का आयुष विभाग ने ही रास्ता काटा है । विभाग के तेवर देख पतंजलि समूह ने टेस्ट सम्बंधी कुछ काग़ज़ात आयुष मंत्रालय में भिजवा दिये और उसकी पावती को ही अब यह कह कर प्रचारित करना शुरू कर दिया है कि विवाद का पटाक्षेप हो गया है । इस पावती को विभागीय अनापत्ति बता कर भक्त लोग ने भी नाचना शुरू हो गये हैं और बाबा के दावे पर सवाल करने वालों को लपेट रहे हैं । कमाल की बात यह है कि उत्तराखंड में भी भाजपा की सरकार है जिसने कहा कि बाबा ने हमसे केवल प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने वाली दवा का लाइसेंस लिया था । केंद्र में भी भाजपा है जिसका विभाग आयुष है मगर गालियाँ फिर भी विपक्षियों के हिस्से में आ रही हैं । बेशक राजस्थान और महाराष्ट्र में भाजपा नहीं है जहाँ बाबा की इस दवा पर रोक लगा दी गई है मगर बाबा के ख़िलाफ़ इस मामले में धोखाधड़ी का पहला मामला बिहार में दर्ज हुआ है जहाँ भाजपा ही सत्ता में है ।
प्रचारित किया जा रहा है कि बाबा की दवा का विरोध करने वाले आयुर्वेद और भारतीयता का विरोध कर रहे हैं जबकि सच्चाई यह है कि बाबा का इतिहास और कथनी-करनी में अंतर ही उनके दावे के ख़िलाफ़ खड़ा है । अपनी राजनीतिक महत्वकांक्षा के चलते वे पहले अखिलेश यादव से जुड़े मगर 2014 के चुनावों से पूर्व उन्होंने नरेंद्र मोदी के गुण गाने शुरू कर दिये और काला धन, पेट्रोल व गैस के दाम सम्बंधी झूठे दावे का अपनी विश्वसनीयता को बट्टा लगा लिया । अपने योग शिविरों में वे मैगी के ख़िलाफ़ सर्वाधिक बोलते थे मगर बाद में वे ख़ुद मैगी बेचने लगे । फटी जींस का वर्षों तक उपहास करने के बाद उनकी कम्पनी फटी जींस भी बनाने लगी । शुरुआती दौर में वे कहते थे कि मेरे पास कुछ नहीं है और सब कुछ ट्रस्ट का है और जनता की भलाई में ख़र्च होता है मगर अब पता चल रहा है कि वे सोलह सौ करोड़ की सम्पत्ति के मालिक हैं और पतंजलि से दो करोड़ रुपये सालाना वेतन भी लेते हैं । उनका चेला बालकृष्ण देश का आठवाँ सबसे धनवान व्यक्ति बन गया है । अध्यात्म की बातें करते करते बाबा ख़ुद भी ओडी व रेंज रोवर गाड़ी में चलने लगे । अकेले उनके मुम्बई वाले घर की क़ीमत भक्तों को चौंका सकती है । बाबा ख़ूब तरक़्क़ी करें इसमें किसी को भला क्या एतराज़ हो सकता है मगर वे हज़ारों साल में बनी भगवा चोले की अस्मिता का तो सम्मान करें, यह अपेक्षा तो उनसे की ही जा सकती है ।