तंत्र में लोकतंत्र

इस बार के विधानसभा चुनाव कुछ ज़्यादा ही चटकीले हैं । जनता जनार्दन को लुभाने के दिन लद गए, अब तो सीधे सीधे लूट में हिस्सेदारी दी जा रही है । आइए आज चुनावी वादों की इसी दुनिया पर बात करें ।

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