जो दिखता है

रवि अरोड़ा
अयोध्या में राम मंदिर का काम शुरू होने से मैं बहुत प्रसन्न हूँ । इसलिए नहीं कि मेरी भगवान राम में गहरी आस्था है वरन इसलिए कि चलिये इस बहाने देश की राजनीति का एक विवादित अध्याय तो समाप्त हुआ । पाँच अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मंदिर का भूमि पूजन करेंगे और इसी दिन से विधिवत रूप से मंदिर का निर्माण भी शुरू हो जाएगा । इसी के साथ देश उस गहरे गड्ढे से भी बाहर आएगा जिसे राजनीतिज्ञों ने मंदिर-मस्जिद के नाम पर खोदा और जानबूझकर कर देश की करोड़ों करोड़ जनता को उसमें धकेल दिया। हालाँकि मैं जानता हूँ कि राजनीति में मुद्दे आसानी से दफ़्न नहीं किए जाते और समय आने पर पुनः झाड़ पोंछ कर उन्हें सामने खड़ा कर दिया जाता है मगर अब कम से कम इस मुद्दे को लेकर तो आसानी से एसा नहीं हो पाएगा । विवादित ढाँचा अब है नहीं और मंदिर बन ही रहा है तो फिर विवाद कैसा ?
राम जन्मभूमि मंदिर को लेकर पाँच सौ सालों से स्थानीय स्तर का विवाद था मगर इसे राजनीति के केंद्र में लाकर एक अनोखा प्रयोग नौवें दशक की शुरुआत में ही किया गया । खेल की शुरुआत बेशक कांग्रेस ने की और मंदिर के ताले खुलवा कर मंदिर का शिलान्यास कराया तथा मुल्क में साम्प्रदायिक राजनीति का एक नया अध्याय प्रारम्भ किया मगर बाज़ी अंतत भाजपा ने ही मारी । भाजपा के तत्कालीन अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी ने सोमनाथ से अयोध्या तक रथयात्रा निकाल कर इसे भारतीय राजनीति का एसा अवसर बना दिया जिसके नाम पर न जाने कितनी सरकारें बनीं और गिरीं । इस विवाद ने अब तक न जाने कितने दंगे करवाये और न जाने कितने हज़ार लोगों की जानें लीं । शुक्र है कि अब मंदिर-मस्जिद की इस घटिया राजनीति का पटाक्षेप होने जा रहा है ।
कहते हैं कि विवाद राजनीति का खाद पानी है । इसके बिना बात ही नहीं बनती । देश के इतने बड़े मुद्दे का पटाक्षेप होने जा रहा है और कोई शोर शराबा न हो , एसा राजनीतिज्ञ आसानी से कैसे होने दे सकते हैं ? मगर क्या करें, आम जनता तो कोरोना संकट की वजह से अपनी दाल रोटी की जुगत में ही व्यस्त है और मंदिर की बात ही नहीं कर रहा । ज़ाहिर है इससे वे लोग बहुत परेशान हैं जो इसका श्रेय लेना चाहते हैं । सो रोज़ाना एसा कुछ किया जा रहा है जिससे विवाद उत्पन्न हो । विवाद होगा तभी तो अख़बारों में सुर्ख़ियाँ बनेंगी , टेलिविज़न पर गर्मा गर्म बहसें होंगी और लोगों बाग़ ठिठक कर इस ओर ध्यान देंगे । यही वजह है कि छुटभैये विरोधियों से मुख़ालफ़त के बयान दिलवाए जा रहे हैं । कोई इस बात पर विरोध कर रहा है कि भूमिपूजन मोदी जी से नहीं कराना चाहिये तो कोई कार्यक्रम के मुहूर्त पर सवाल उठा रहा है । कोरोना के चलते भूमिपूजन का समय अनुपयुक्त तो बताया ही जा रहा है । कोई कार्यक्रम में अतिथियों की संख्या पर झूठी नाराज़गी जता रहा है तो कोई कार्यक्रम के दूरदर्शन पर सीधे प्रसारण का विरोध कर रहा है । बात बनती न देख अब असुदद्दीन ओवैसी को भी मैदान में उतारा गया है ताकि हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण हो सके ।
एक नई तरकीब की तहत अब यह चर्चा भी शुरू कराई जा रही है कि मंदिर के कार्यक्रम को आतंकवादी निशाना बना सकते हैं । बात करने के लिए दुश्मन नम्बर वन पाकिस्तान एसे वक़्त पर ही काम आता है । एसी अफ़वाह भी फैलाई जा रही है कि भूमिपूजन के समय दो हज़ार फ़ुट की गहराई में काल पात्र यानि टाइम कैप्सूल भी गाड़ा जाएगा ताकि हज़ारों साल बाद भी मंदिर के इतिहास को लोग जान सकें । इसी बहाने यह चर्चा भी शुरू कराई जा रही है कि इस टाइम कैप्सूल में क्या क्या लिखा गया होगा ? मगर हाय रे ! बात फिर भी नहीं बन रही । लोगबाग़ अपने मसलों में इतने मशगूल हैं कि इतने तमाशे के बावजूद मंदिर की बात ही नहीं कर रहे । हालाँकि मंदिर को भुनाने की चाह रखने वाले अभी निराश नहीं हुए हैं । कार्यक्रम में एक सप्ताह का समय है और अभी न जाने कितने टोटके हैं जो आज़माए नहीं गए हैं । आप भी मेरी तरह इंतज़ार कीजिये कुछ नया अवश्य होगा । इतने बड़े इवेंट को यूँ फ़ुस्स पटाखा नहीं होने दिया जाएगा । जनाब वो लोग देश चला रहे हैं और बख़ूबी जानते हैं कि जो दिखता है वही बिकता है ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

RELATED POST

जो न हो सो कम

रवि अरोड़ाराजनीति में प्रहसन का दौर है। अपने मुल्क में ही नहीं पड़ोसी मुल्क में भी यही आलम है ।…

निठारी कांड का शर्मनाक अंत

रवि अरोड़ा29 दिसंबर 2006 की सुबह ग्यारह बजे मैं हिंदुस्तान अखबार के कार्यालय में अपने संवाददाताओं की नियमित बैठक ले…

भूखे पेट ही होगा भजन

रवि अरोड़ालीजिए अब आपकी झोली में एक और तीर्थ स्थान आ गया है। पिथौरागढ़ के जोलिंग कोंग में मोदी जी…

गंगा में तैरते हुए सवाल

रवि अरोड़ासुबह का वक्त था और मैं परिजनों समेत प्रयाग राज संगम पर एक बोट में सवार था । आसपास…