चोचलिस्ट क़ुदरत
रवि अरोड़ा
1960 में रिलीज़ हुई राज कपूर की चर्चित फ़िल्म जिस देश में गंगा बहती है अनेक बार देखी है । फ़िल्म में डाकुओं के सरदार की पुत्री बनी अभिनेत्री पद्मिनी ग़रीबों की मदद हेतु अमीरों को लूटने की जब वकालत करती है तो राज कपूर उससे पूछते हैं- अच्छा तो आप लोग चोचलिस्ट हैं ? चोचलिस्ट भी तो दुनिया बरोब्बर करते हैं । फ़िल्म में सोशलिस्ट को चोचलिस्ट कहा जाना ग़ज़ब का हास्य बोध उत्पन्न करता है । वैसे दुनिया को बरोब्बर यानि बराबर करने के लिये एक से बढ़ कर एक नेता हुए मगर दुनिया बरोब्बर नहीं हुई । कोशिशें होती रहीं मगर अमीर और ग़रीब की दूरी बढ़ती ही गई । यही वजह है कि लोगों को लगता है कि इंसानी दुनिया ही नहीं क़ुदरत भी बरोब्बरी में विश्वास नहीं रखती । अमीर के लिए तमाम सहूलतें तो हैं हीं मौत भी उसे देर से ही आती है । ग़रीब के लिये तो उसने मौत के भी अनेक रास्ते खोल रखे हैं । वह तो कभी भी मर सकता है । सड़क पर चलते चलते, फ़ैक्ट्री में काम करते करते अथवा यूँ ही किसी छोटी सी बीमारी से भी । अमीर के लिये क़ुदरत ने बीमारियाँ भी बड़ी बड़ी तय की हैं और हार्ट अटैक, एड्स, कैंसर और डायबिटीज़ से कम में तो वह मरता ही नहीं जबकि ग़रीब मामूली बुखार में भी दुनिया से कूच कर सकता है । हालाँकि उसके लिए टीबी, आंत्रशोथ, हैज़ा, पीलिया, डेंगू और मलेरिया जैसे तमाम रोग तो हैं ही । मगर अब क़ुदरत ने अपना निज़ाम बदल दिया है क्या ? कोरोना के रूप पहली बार ऐसी बीमारी आई है जो अमीर-ग़रीब का फ़र्क़ ही नहीं कर रही । तो क्या क़ुदरत भी अब चोचलिस्ट हो गई है ?
दुनिया बरोब्बर करने निकली इस नई बीमारी ने अब तक साढ़े तीन करोड़ लोगों को अपनी चपेट में लिया है । अकेले भारत में इसके पैंसठ लाख से अधिक लोग शिकार हो चुके हैं । पूरी दुनिया में कोरोना से अब तक दस लाख से अधिक लोग अपनी जान गँवा चुके हैं तो अपने मुल्क में भी यह आँकड़ा एक लाख को पार कर गया है । दुनिया की बड़ी बड़ी ताक़तें भी इस महामारी से ख़ुद को नहीं बचा पाईं और ख़ुद को धरती का सबसे शक्तिशाली इंसान समझने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प और रूसी राष्ट्रपति पुतिन भी इसका शिकार बन गये । इंग्लैंड, ओस्ट्रेलिया और चीन समेत दो दर्जन से भी अधिक बड़े देशों के बड़े बड़े नेता भी इसकी जद में आ गए । भारत में तो यह महामारी क़हर ही बरपा रही है । पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की यह बीमारी जान ले चुकी है तो केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह समेत भारत सरकार के पाँच बड़े मंत्री इसी के चलते अस्पताल ले जाये गये । पाँच राज्यों के मुख्यमंत्रियों समेत लगभग हर राज्य का कोई न कोई मंत्री इसका शिकार हो चुका है । उत्तर प्रदेश सरकार की एक चौथाई क़ेबिनेट कोरोना ग्रस्त हुई और दो मंत्रियों की तो जान भी चली गई । होलीवुड-बोलीवुड और खेल की दुनिया के चर्चित सैंकड़ों नाम इस बीमारी के कारण पिछले तीन महीनों से चर्चा में आ चुके हैं । बेशक इस बीमारी से आम आदमी अधिक प्रभावित हुआ है मगर ख़बरी दुनिया के हवाले से देखें तो लगता है कि इस बीमारी ने बड़े लोगों को अधिक लपेटा है । कुल जमा बात यही है कि इस बार क़ुदरत क़तई ग़ैरबराबरी नहीं कर रही ।
वैसे आप कह सकते हैं कि क़ुदरत कभी ग़ैरबराबरी नहीं करती । यह इंसान ही है जो सारी सुविधाएँ बड़े, धनवान और ताक़तवर लोगों की झोली में डाल देता है । यदि आप अपनी इस बात से मुतमईन हैं हैं तो फिर आपको यह भी स्वीकार करना ही होगा कि इस महामारी का इलाज आया तो पुराना इतिहास फिर दोहराया जा सकता है । सारी दवाइयाँ बड़े देश और बड़े लोग चट कर जाएँगे और गुरबत में जी रहे मुल्क और आदमी फिर ख़ाली हाथ रहेंगे । आशंका के अनुरूप यदि ऐसा हुआ तो क्या कुदरत फिर से अपना कोई चोचलिस्ट रूप दिखाएगी ? क्या क़ुदरत फिर से आकर सबको बरोब्बर करने पर लग जाएगी ?